29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

ट्यूशन टीचर ने 3 छोटी बच्चियों का किया यौन शोषण, पिता बोला- मैं खुद हूं चश्मदीद गवाह

अदालत ने तीन नाबालिग छात्राओं के साथ यौन शोषण के मामले में एक शिक्षक को दोषी ठहराते हुए तीन साल की जेल की सजा सुनाई है।

2 min read
Google source verification

मुंबई

image

Dinesh Dubey

Nov 02, 2025

Rape crime Maharashtra

प्रतीकात्मक तस्वीर (AI Image)

महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने तीन नाबालिग छात्राओं के साथ यौन शोषण करने के दोषी पाए गए एक शिक्षक को तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि शिक्षक का यह कृत्य बेहद निंदनीय है और ऐसे अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।

यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष न्यायाधीश रूबी यू. मालवंकर ने 35 वर्षीय आरोपी पर 15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने यह आदेश 31 अक्टूबर को पारित किया।

2019 में दर्ज हुआ था मामला

यह मामला 22 नवंबर 2019 का है, जब एक पीड़िता के पिता ने ठाणे जिले के दिवा इलाके में रहने वाले शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के अनुसार, पिता ने एक निजी ट्यूशन क्लास में आरोपी शिक्षक को अपनी छह वर्षीय बेटी के साथ अश्लील हरकत करते हुए देखा था। उस समय बच्ची दूसरी कक्षा में पढ़ रही थी।

यह मामला सामने आने के बाद दो अन्य बच्चियों ने भी उसी शिक्षक पर इसी तरह के आरोप लगाए। सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि आरोपी ने तीनों बच्चियों का यौन उत्पीड़न किया था।

अदालत ने आरोपी की दलील ठुकराई

सुनवाई के दौरान आरोपी ने दावा किया कि वह निर्दोष है और उसे पेशेवर प्रतिद्वंद्विता के कारण झूठा फंसाया गया है, लेकिन अदालत ने यह दलील खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि पीड़िताओं के बयान सुसंगत और विश्वसनीय हैं, और यह नहीं कहा जा सकता कि उन्हें बयान रटाया गया था।

अदालत ने अपने फैसले में कहा, घटना के समय पीड़िता दूसरी कक्षा में पढ़ रही थी। इतनी कम उम्र में किसी बच्ची से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि उसे हर बात ठीक-ठीक याद हो। फिर भी उसने आरोपी की घिनौनी करतूतों की मुख्य बातें बतायी हैं।

फैसले में क्या कहा?

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी ने एक शिक्षक के रूप में अपनी जिम्मेदारी और नैतिकता दोनों का उल्लंघन किया। उसने पढ़ने आई मासूम बच्चियों के साथ घृणित हरकत की और यह नहीं सोचा कि उसके व्यवहार का उनके शरीर, मन और मस्तिष्क पर कितना बुरा प्रभाव पड़ेगा। ऐसे अपराध निंदनीय हैं और दोषी को कठोर दंड मिलना चाहिए।

मुआवजा देने का आदेश

अदालत ने आदेश दिया कि आरोपी पर लगाया गया 15,000 रुपये का जुर्माना तीनों पीड़िताओं को समान रूप से मुआवजे के रूप में दिया जाए।