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उद्धव ठाकरे ने CM पद छोड़ने से पहले रांकपा-कांग्रेस से नहीं की थी चर्चा, शरद पवार का बड़ा खुलासा

Sharad Pawar: अडानी-हिंडनबर्ग मामले में जेपीसी जांच को लेकर शरद पवार ने अपना रुख बदल लिया है। शरद पवार ने कहा है कि अगर उनके सहयोगियों को जरूरी लगेगा तो वे जेपीसी का विरोध नहीं करेंगे।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Apr 11, 2023

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महाविकास अघाडी टूटने से बची! शरद पवार फिर बने संकटमोचक

Sharad Pawar on Uddhav Thackeray: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने कहा है कि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते समय अपने साथी दलों से विचार नहीं किया था। इसके साथ ही उन्होंने गौतम अडानी मामले में अपने पहले दिए गए बयान पर टिप्पणी की है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते समय सहयोगी दलों (कांग्रेस और एनसीपी) से विचार नहीं किया। जबकि उन्हें ऐसा करना चाहिए था।

एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने कहा, मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री का पद तीनों पार्टियों ने संख्या के आधार पर तय किया था। इसमें तीनों पक्ष शामिल थे। अगर कोई इससे जुड़ा कोई और फैसला लेता है, इस्तीफा देता है तो यह उसका अधिकार है। लेकिन अन्य सहयोगी दलों के साथ संवाद करने की आवश्यकता थी। बिना चर्चा के निर्णय लेने के दुष्प्रभाव होते हैं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि उस समय कोई चर्चा नहीं हुई थी। बता दें कि शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी और कांग्रेस 2019 से सहयोगी हैं और महाराष्ट्र में महाविकास अघाडी (MVA) का हिस्सा हैं। यह भी पढ़े-NCP-बीजेपी में बढ़ रही नजदीकी? कांग्रेस नेता ने की पवार की आलोचना, तो फडणवीस ने दिया करारा जवाब


अडानी मामले पर पड़े नरम

इस बीच, अडानी-हिंडनबर्ग मामले में जेपीसी जांच को लेकर शरद पवार ने अपना रुख बदल लिया है। शरद पवार ने कहा है कि अगर उनके सहयोगियों को जरूरी लगेगा तो वे जेपीसी का विरोध नहीं करेंगे। उनकी (विपक्ष) राय मुझसे अलग है। लेकिन हमें इसमें एकजुट होना होगा। मैंने अपना मत व्यक्त किया था। लेकिन अगर सहयोगियों को लगता है कि जेपीसी जरूरी है तो मैं इसका विरोध नहीं करूंगा। उनकी राय से सहमत नहीं हूँ, लेकिन विपक्ष की एकता पर दुष्परिणाम नहीं होने देंगे।

शनिवार को शरद पवार ने कहा था कि वह अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की जेपीसी से जांच के पूरी तरह से खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इस संबंध में देश की शीर्ष कोर्ट की एक समिति ज्यादा सही होगी। पवार ने पत्रकारों से कहा था कि अगर जेपीसी में 21 सदस्य हैं, तो संसद में संख्या बल के कारण 15 सत्ता पक्ष से और छह विपक्षी दलों से होंगे, जो समिति की रिपोर्ट को प्रभावित कर सकता है। जेपीसी के बजाय, मेरा विचार है कि सुप्रीम कोर्ट की समिति अधिक उपयुक्त और प्रभावी होगी।