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अवैध निर्माण मामले में ईडी का शिकंजा, IAS अनिल पवार समेत पार्षद और बिल्डर गिरफ्तार

IAS Anilkumar Pawar Arrest: वसई-विरार शहर नगर निगम के पूर्व आयुक्त और महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री दादा भुसे के रिश्तेदार आईएएस अनिल कुमार पवार को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया है।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Aug 14, 2025

IAS Anil Pawar Arrest

Vasai Virar ED Raid (Imagee: Patrika)

महाराष्ट्र के पालघर जिले के वसई-विरार महानगर पालिका (VVMC) से जुड़े एक बड़े घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व आयुक्त आईएएस अनिल पवार, बहुजन विकास आघाडी के नगरसेवक व बिल्डर सीताराम गुप्ता, बिल्डर अरुण गुप्ता और निलंबित उप नगर नियोजन अधिकारी वाईएस रेड्डी को गिरफ्तार किया है।

जांच में सामने आया कि कुछ बिल्डरों ने अवैध निर्माण कर भोलेभले निवेशकों को फ्लैट बेचे। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ये अवैध इमारतें ढहा दी गईं, जिससे कई घर खरीदार बेघर हो गए। महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री दादा भुसे के रिश्तेदार आईएएस अनिल कुमार पवार हाल ही में वसई-विरार महानगर पालिका

अधिकारियों के मुताबिक, सभी आरोपियों को 13 अगस्त को हिरासत में लिया गया और अब उन्हें मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत में पेश कर ईडी उनकी रिमांड की मांग करेगी।

शिंदे सरकार के दौरान ही महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री दादा भुसे के रिश्तेदार आईएएस अनिल कुमार पवार को ठाणे का अपर जिला कलेक्टर और वसई-विरार नगर निगम का आयुक्त नियुक्त किया गया था। वसई-विरार में अनधिकृत निर्माण घोटाला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नाराजगी जताई थी।

पिछले महीने महाराष्ट्र के वसई-विरार शहर में ईडी ने इस कथित अवैध निर्माण सिंडिकेट के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 16 अलग-अलग ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। यह छापेमारी वसई-विरार महानगरपालिका के नगर रचना विभाग के उपसंचालक वाईएस रेड्डी से जुड़े मामले में आर्किटेक्ट्स, इंजीनियरों और एजेंटों के ठिकानों पर की गई थी।

ईडी को इस गोरखधंधे से जुड़े वित्तीय लेन-देन, नकद राशि और संपत्ति की जानकारी मिली है। जांच एजेंसी को शक है कि यह सिंडिकेट करीब 60 एकड़ सरकारी जमीन पर 41 अवैध रिहायशी और व्यावसायिक इमारतों के निर्माण में शामिल है। बताया जा रहा है कि ये निर्माण फर्जी दस्तावेज और भ्रष्टाचार के दम पर किए गए थे। अवैध निर्माण के लिए जरूरी फाइलों को मंजूरी दिलाने के बदले भारी भरकम रिश्वत दी गई। यह लेन-देन आर्किटेक्ट्स और एजेंटों के माध्यम से किया जाता था।