यह निरीक्षण खाद्य सुरक्षा अधिकारी राम बोडके द्वारा किया गया, जिसे एफडीए राज्य मंत्री योगेश कदम के निर्देश पर और संयुक्त आयुक्त (खाद्य) मंगेश माने की देखरेख में अंजाम दिया गया। एफडीए के अनुसार, जांच में खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 तथा संबंधित लाइसेंसिंग नियमों के तहत कई गंभीर उल्लंघन पाए गए।
एफडीए की टीम द्वारा की गई जांच में कई चिंताजनक गड़बड़ियां पाई गईं। निरीक्षण के दौरान खाद्य पदार्थों पर फंगल ग्रोथ, एक्सपायरी सामान को ताजा स्टॉक के साथ मिलाना और गीली गंदी जमीन जैसी बेहद अस्वच्छ परिस्थितियां सामने आईं। इसके अलावा, कोल्ड स्टोरेज का तापमान मानकों के अनुसार नहीं रखा गया था। एफडीए ने यह भी दावा किया कि एक्सपायरी खाद्य उत्पादों को ताज़ा स्टॉक के साथ बिना किसी स्पष्ट अंतर के रखा गया था, जो कि खाद्य सुरक्षा के लिहाज़ से एक बड़ी लापरवाही है। इसके चलते एफडीए ने तुरंत लाइसेंस निलंबित कर दिया।
इस कार्रवाई के बाद जेप्टो ने एक आधिकारिक बयान जारी किया है जिसमें कंपनी ने अपनी खामियों को स्वीकारते हुए कहा, “हम सभी आवश्यक सुधारात्मक कदम उठा रहे हैं और संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि नियामक प्रावधानों और कानूनों का पालन करते हुए जल्द से जल्द संचालन फिर से शुरू किया जा सके।” कंपनी ने यह भी कहा कि उन्होंने एक आंतरिक समीक्षा प्रक्रिया शुरू कर दी है और अपने सिस्टम को और मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
‘क्विक कॉमर्स’ यानी फटाफट सामान पहुंचाने वाला मंच जेप्टो के सह-संस्थापक एवं सीईओ आदित पलीचा के मुताबिक, जेप्टो का सकल ऑर्डर मूल्य (जीओवी) मई 2024 के लगभग 750 करोड़ रुपये प्रति माह से बढ़कर मई 2025 में 2400 करोड़ रुपये प्रति माह हो गया है।