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दलित आंदोलन की बरसी पर एक बार फिर टकराव होते-होते बचा

दलित आंदोलन की बरसी पर पहुंचे लोग मृतक दलित को समाज ने दिया शहीद का दर्जा 2 अप्रैल 2018 को हुआ था दलित आंदोलन

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दलित आंदोलन की बरसी पर एक बार फिर टकराव होते-होते बचा

मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर में एक बार फिर पुलिस और दलितों में टकराव होते-होते रह गया। दरअसल घटना तब की है जब दलितों की ओर से 2 अप्रैल 2018 को एससी एसटी एक्ट कानून में बदलाव को लेकर हुए आन्दोलन की पहली बरसी पर श्रृद्धांजलि देने के लिए लोग जुटे थे। हालाकि पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद नजर आई।

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दरअसल गत वर्ष 2 अप्रैल को मुजफ्फरनगर में हुए दलित आंदोलन के दौरान थाना नई मंडी कोतवाली में दलितों और पुलिस के बीच हुई फायरिंग पथराव और आगजनी की घटना को आज तक नहीं भुला पाया है। इस हिंसक घटना में थाना भोपा क्षेत्र के गांव गादला निवासी युवक अमरेश की गोली लगने से मौत हो गयी थी, जिसका आरोप परिजनों ने थाना नई मण्डी के दरोगा पर लगाया। मंगलवार को अमरेश की मौत को 1 वर्ष पूरा होने पर दलितों द्वारा गांव में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिस में मृतक अमरेश सहित दलित आन्दोलन के दौरान मारे गए अन्य 12 व्यक्तियों दलितों ने समाज के शहीद घोषित करते हुए, उनके चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की गयी।

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आयोजित शोक सभा में भीम आर्मी संगठन के जिला संरक्षक टीकम बोध ने कहा कि मृतक अमरेश सहित 12 अन्य युवक आन्दोलन में शहीद हो गये थे, जिनके परिजनों को आज तक न्याय नहीं मिल पाया है। किसी भी राजनैतिक दल का व्यक्ति मृतक अमरेश के घर पर श्रृद्धांजलि देने नहीं आया। अमरेश की प्रतिमा भी स्थापित नहीं करने दी गयी है। सरकार व प्रशासन दलित विरोधी रवैया अपनाये हुए हैं। वहीं मृतक के पिता सुरेश ने पुलिस प्रशासन पर धमकी देने के गम्भीर आरोप लगाये हैं साथ ही अमरेश की प्रतिमा की स्थापना को रोकने को लेकर रोष प्रकट किया। इस कार्यक्रम में भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर के आने की सूचना से पुलिस और प्रशासन की हवाइयां उड़ती रही जिस वजह से क्षेत्र में भारी फोर्स लगाया गया था।

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