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इस हिंदूवादी संगठन ने शरिया अदालत की मांग का किया जोरदार विरोध, मुस्लिमों को दी यह चेतावनी

मुस्लिमों ने नहीं छोड़ी शरिया अदालत की मांग तो हम भी करेंगे भगवा अदालतों की मांग।  

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गाजियाबाद। देश में एक बार फिर शरिया कानून का मुद्दा जोरों पर है, जिसे लेकर हिंदूवादी संगठन अखिल भारतीय हिन्दू शक्ति दल शरिया कानून और शरिया अदालत के विरोध में खड़ा नजर आ रहा है। इसी को लेकर शुक्रवार को जनपद मुजफ्फरनगर पहुंचे अखिल भारतीय हिन्दू शक्ति दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने एक विवादित बयान देते हुए कहा कि शरिया कानून को लेकर पूरे भारत में चर्चा चल रही है कि शरिया अदालत को लागू करने के लिए मुस्लिम समाज आमादा है। हिन्दू शक्ति दल इसका पूरा विरोध करता है और मुस्लिम समाज को यह चेतावनी देता है कि भारत में संवैधानिक व्यवस्था लागू है। इसलिए यहां शरिया कानून लागू करने की जिद ना करें। अगर इस मामले में मुस्लिम समाज ने कदम बढ़ाया और जिद करने की बात की तो हिंदू शक्ति दल पूरे देश में भगवा अदालत लागू करने का सरकार पर दबाव बनाएगी।

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दरअसल देश में इन दिनों एक बार फिर शरिया कानून और शरिया अदालत का मुद्दा उठ रहा है, जिसके विरोध में अखिल भारतीय हिंदू शक्ति दल उतर आया है। शुक्रवार को मुजफ्फरनगर पहुंचे अखिल भारतीय हिंदू शक्ति दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने मीडिया से बात करते हुए उन्होंने मुस्लिम समुदाय द्वारा शरिया अदालतों के बनाए जाने की मांग का जमकर विरोध किया। उन्होंने कहा कि शरिया अदालतों का हिन्दू शक्ति दल विरोध करता है और मुस्लिम समाज को हम चेतावनी देते हैं कि भारत एक संविधान के तहत चलने वाला देश है। इसलिए मुस्लिम समाज शरीयत अदालतों को लागू करने की जिद्द ना करे।

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अगर मुस्लिम समाज ने शरीयत कानून के लिए कदम बढ़ाया या मांग की तो हिन्दू शक्ति दल पूरे भारत के अंदर भगवा अदालतों की मांग करने के लिए सरकार पर दबाव बनाएगा और भगवा अदालतों में जो भी फैसले या निर्णय लिए जाएंगे वो भारतीय संविधान के तहत ही लिए जाएंगे। लेकिन शरिया अदालत के तहत मुस्लिम कम्युनिटी अपना अलग संविधान चलाने की नीयत बना रही है। उस शरिया अदालत का विकल्प होगी भगवा अदालत। उसमें जो भारत के बहुसंख्यक हैं उनको भी अपना नियम-अपना कानून चलाने का अधिकार होगा। धर्मनिरपेक्षता का जो ढिंढोरा पीटा जा रहा है उसका ठेका केवल हिंदुओं ने ही नहीं ले रखा है। अगर धर्मनिरपेक्षता को निभाना है, भारत के संविधान को निभाना है तो फिर अलग शरिया कानून क्यों?


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