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स्क्रीन पर धूम मचाने के बाद शूटर दादियों ने नदियों को संरक्षित करने का उठाया बीड़ा

शूटर दादियों ने किया काली नदी पर वृक्षारोपण दोनों दादी नदियों को संरक्षित करने का करेंगी काम

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मुज़फ्फरनगर. इतिहास के पन्नो में विलुप्त हो चुकी गांव अन्तवाड़ा से निकलने वाली नागिन नदी को एक बार फिर एक सामाजिक संस्था नीर फाउंडेशन ने पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है। इसी कड़ी में यहां खुदाई के साथ ही वृक्षारोपण किया गया। इसी सिलसिले में शुक्रवार को विश्व विख्यात दो शूटर दादी प्रकाशी तोमर व चंद्रो तोमर ने थाना खतौली कोतवाली क्षेत्र के गांव अंतवाड़ा पहुंचकर विलुप्त हो चुकी नागिन नदी पर वृक्षारोपण किया और देश में नदियों को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया। इस दौरान शूटर दागियों को देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठा हो गई।

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दरअसल, सामाजिक संस्था नीर फाउंडेशन के निदेशक रमनकांत त्यागी ने वर्षों पहले अस्तित्व खो चुकी अंतवाड़ा की नागिन नदी को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया और काफी हद तक सफलता की ओर बढ़ा भी रहे हैं। बता दे कि नागिन नदी को पहले काली पूर्वी नदी के नाम से भी जाना जाता था, जो विलुप्त हो गयी थी। उसे फिर से पुनर्जीवित किया गया है। जहां शुक्रवार को शूटर दादियों ने पहुंचकर नदी की जलधारा को देखकर कहा कि नीर फाउंडेशन ने एक सराहनीय कार्य किया है। नदी को जिंदा करने की अच्छी पहल है। नदियों को बचाने की हम सबकी जिम्मेदारी बनती है। आज नदियों का पानी दूषित हो चुका है। उनमें गिरने वाले नालों से आने वाले दूषित पानी को सरकार को रोकना चाहिए, जिससे नदियों में स्वच्छ पानी की जलधारा बहती रहे तथा देशवासियों को इनका लाभ मिलता रहे।

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उन्होंने नदी के उद्गम स्थल पर पौधरोपण करने के बाद श्रमदान भी किया। आपको बता दें कि बागपत के गांव जौहड़ी निवासी अंतरराष्ट्रीय शूटर चंद्रो तोमर एवं प्रकाशी तोमर देश में युवाओं और वृद्ध दोनों के लिए एक प्रेरणा स्रोत से कम नहीं है, क्योंकि इन दोनों महिलाओं ने 60 साल की उम्र में निशानेबाजी सीख कर लगन और मेहनत के दम पर काबलियत के झंड़े गाड़कर साबित कर दिया कि इंसान जब चाह ले तो सफलता हासिल कर सकता है। सूटर प्रकाशो तोमर और चंद्र तोमर ने निशानेबाजी में पारंगत होकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शूटिंग में देश का नाम रोशन किया। शुक्रवार को शूटर दादी प्रकाशो तोमर और चंद्रो तोमर ने मुजफ्फरनगर के थाना खतौली कोतवाली क्षेत्र के गांव अंतवाड़ा में नागिन नदी के उद्गम स्थल पर पहुंचकर वृक्षारोपण और श्रमदान किया और लोगों को संदेश दिया कि आजकल हमारी धरोहर लुप्त होती जा रही है। इनके संरक्षण के लिए लोगों को आगे आना चाहिए। अब वे नदियों को संरक्षित करने का काम करेंगी।