
Anandaata was deceived in the name of subsidy
नागौर. पूरे साल काश्तकारों के साथ यही होता रहा। न तो अधिकारियों ने भला किया, और न ही सरकार या बीमा कंपनी ने। ड्रिप संयन्त्र लगाना हो गया, फिर योजनार्गत लाभ का मामला, दोनों में किसान फंसे परेशान नजर आए। जिले में 17 वर्ग किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र में ज्यादातर भाग कृषि क्षेत्रों में आता है। इसमें छोटे-बड़े मिलाकर कुल साढ़े पांच लाख कृषक को हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद भी अब तक केवल मिले 20 मिनीकेट्स किसानों को मिले हैं। इसका भी पता किसी को नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि दे दिए बस। सिंचाई के लिए 153 किलोमीटर पाइप लाइन का आंकड़ा दर्शाने के साथ ही 81 लाख का अनुदान देने का दावा कागजों में विभाग ने किया है, लेकिन हकीकत में स्थिति यह है जिले के 80 प्रतिशत से ज्यादा काश्तकार सिंचाई की सुविधा से अब तक वंचित हैं। जरुरतमंदों के हिस्से में एक मीटर भी पाइपलाइन का हिस्सा नहीं आया, यहां भी काम केवल चहेतों के लिए किया गया। खेतों में कृषकों को फार्म पौण्ड के नाम जल हौज के नाम पर दिए गए अनुदान का आंकड़ा भी 154.31 एवं 77.77 लाख दर्शाया गया है, लेकिन वास्तविकता में जल हौज की संख्या 300 तक भी पूरे साल में नहीं पहुंच पाई।
मूंग खरीद को लेकर जारी रहा संघर्ष
नागौर. जिले में समर्थन मूल्य पर मूंग खरीद के लिए कुल 15 केन्द्र खुले। बाद में इनमें से तीन बंद हो गए। मूंग की पहले खरीद, फिर खरीद को निरस्त करने के मामले को लेकर केन्द्र बंद व खुलते रहे। काश्तकारों ने इस मामले को लेकर कई बार कृषि उपजमंडी का न केवल गेट बंद किया, बल्कि जाम भी लगा दिया था। यही स्थिति कुचेरा एवं निमोद में भी रही। तीनों केन्द्र में अस्थाई तौर पर खरीद स्थगित की गई। 25 क्विंटल खरीद सीमा को लेकर भी गतिरोध बना रहा। बाद में किसान इस बात पर शांत हुए कि 25 क्विंटल से ज्यादा मूंग का बेचान करने वाले काश्तकार दोबारा पंजीकरण करा सकेंगे। गौरतलब है कि छह अक्टूबर से शुरू हुई खरीद में अकेले नागौर जिले में तकरीबन पांच अरब की समर्थन मूल्य पर काश्तकारों की खरीदी जा चुकी है। इधर, असमय हुई बारिश से भी कई काश्तकारों की मूंग उपज खराब हो गई। खराबा को लेकर कभी बीमा कंपनी तो कभी कृषि विभाग के रवैए को लेकर किसानों ने प्रदर्शन भी किया।
यहां भी दिखाई बाजीगिरी
कृषि विभाग की ओर से 8936 कृषि यंत्र खरीदने के लिए 342.21 लाख रुपए का अनुदान, पौध संरक्षण के लिए एक हजार यंत्रों पर 15.50 लाख रुपए व्यय करने के साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के नाम पर 67265 मीट्रिक टन जिप्सम के वितरण में 307.38 लाख रुपए के अनुदान के आंकड़ों में कृषि विभाग ने शेखी बघारी, लेकिन जरूरतमंद किसान कार्यालयों के चक्कर लगाते रहे और विभाग आश्वासन देता रहा। इस संबंध में जिले के किसानों का कहना था कि 90 प्रतिशत से अधिक काश्तकारों को योजनाओं के नाम पर झुनझुना पकड़ा दिया गया। सरकार की ओर से निर्धारित कीमत के बाद भी तय अनुदान की 50 फीसदी राशि उन्हें भी अपनी जेब से वहन करनी पड़ी। कृषि विभाग के अनुसार जिले के दो लाख 77 हजार 219 विभिन्न फसलों के मिनीकेट्स नि:शुल्क बंटे, कहां बंटे यह केवल विभाग को ही पता है। मिट्टी के नमूनों के हालात बेहद खराब होने के बाद भी विभाग ने 144588 नमूनों की जांच कर 304583 मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित कर खुद की पीठ आंकड़ों में थपथपा ली, लेकिन काश्तकारों की संख्या एवं कृषि क्षेत्रफल की अपेक्षा यह आंकड़ा न्यूनतम ही है।
इसमें भी दिखाई कलाकारी
राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना में फलदार बगीचों, ग्रीन हाउस,शेडनेट, हाउस, सामुदायिक जलस्रोत, मसाला फसल प्रदर्शन, वर्मी कंपोस्ट इकाई, उद्यानिकी यंत्रीकरण एवं कम लागत प्याज भंडारणों पर 1024.60 लाख का अनुदान दिया जाना बताया है। इसमें फलदार बगीचे 225 हेक्टेयर, सामुदायिक जलस्रोत 39, मसाला प्रदर्शन 1182 हेक्टेयर, प्याज भंडारण 422, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में सिंचाई यंत्रों की 1648.02 हेक्टर, छोटे स्प्रिंगलर 218.16 हेक्टर में तथा स्प्रिंगलर 990 हेक्टर में स्थापित किया। अनुदान की स्थिति क्रमश: 1323.16 लाख, 135.67 लाख एवं 65.76 लाख दिए जाने का आंकड़ा दर्शाया है। यह स्थिति तब है, जबकि इसमें तीन और सालों के आंकड़े भी शामिल हैं। विभाग की ओर से दर्शाए गई खुद की बाजीगिरी में जिले में कुल काश्तकारों की संख्या के हिसाब से आंकड़ों की सेटिंग करना अधिकारी भूल गए। पूरे आंकड़ों पर नजर डालने से साफ है कि किसानों की 80 फीसदी से ज्यादा की संख्या योजनाओं के तहत मिलने वाले अनुदान के लाभ से न केवल वंचित रही, बल्कि जिन्हें मिला भी तो न्यूनतम स्तर पर लाभान्वित होने के कारण वह कारगर सिद्ध नहीं हो सका।
बीमा में भी छले गए किसान
कृषि विभाग खुद के आंकड़ों में खरीफ 2016 में कुल 372000 कृषकों का बीमा करने के साथ ही 72364.57 लाख का बीमा गया है, और जिले के 52000 हेक्टेयर क्षेत्र में बीमा होना मानते हुए 54.23 लाख के क्लेम वितरण खुद के ही आंकड़े बताते हैं। आंकड़ों से साफ है कि इसके लाभ से भी ज्यादातर वंचित रहे। इसमें भी 26 कृषकों को खुद विभाग ने ही गैर ऋणी मानते हुए खुद के आंकड़ों की कलई खोल दी। रबी 2016-17 की स्थिति भी इससे भिन्न नहीं रही। 74000 काश्तकारों के 92000 हेक्टेयर क्षेत्र का बीमा किया गया और कुल 2197.00 लाख का बीमा होना बताया गया। दावा है कि 21000 किसानों को इसका लाभ मिलेगा। खरीफ 2017 में भी दो लाख 86 हजार किसानों का 378000 हेक्टेयर क्षेत्र में बीमा करने के आंकड़े दर्शाए गए हैं, और कुल बीमा राशि 68361.42 लाख का बताया है। आंकड़ों से साफ है कि साढ़े पांच लाख किसानों में से कितनों को योजनाओं का लाभ मिला है।
इसमें भी दिखाई कलाकारी
राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना में फलदार बगीचों, ग्रीन हाउस,शेडनेट, हाउस, सामुदायिक जलस्रोत, मसाला फसल प्रदर्शन, वर्मी कंपोस्ट इकाई, उद्यानिकी यंत्रीकरण एवं कम लागत प्याज भंडारणों पर 1024.60 लाख का अनुदान दिया जाना बताया है। इसमें फलदार बगीचे 225 हेक्टेयर, सामुदायिक जलस्रोत 39, मसाला प्रदर्शन 1182 हेक्टेयर, प्याज भंडारण 422, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में सिंचाई यंत्रों की 1648.02 हेक्टर, छोटे स्प्रिंगलर 218.16 हेक्टर में तथा स्प्रिंगलर 990 हेक्टर में स्थापित किया। अनुदान की स्थिति क्रमश: 1323.16 लाख, 135.67 लाख एवं 65.76 लाख दिए जाने का आंकड़ा दर्शाया है। यह स्थिति तब है, जबकि इसमें तीन और सालों के आंकड़े भी शामिल हैं। विभाग की ओर से दर्शाए गई खुद की बाजीगिरी में जिले में कुल काश्तकारों की संख्या के हिसाब से आंकड़ों की सेटिंग करना अधिकारी भूल गए। पूरे आंकड़ों पर नजर डालने से साफ है कि किसानों की 80 फीसदी से ज्यादा की संख्या योजनाओं के तहत मिलने वाले अनुदान के लाभ से न केवल वंचित रही, बल्कि जिन्हें मिला भी तो न्यूनतम स्तर पर लाभान्वित होने के कारण वह कारगर सिद्ध नहीं हो सका।
Published on:
29 Dec 2017 11:46 am
बड़ी खबरें
View Allनागौर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
