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अन्नदाताओं से यह कैसा खेला जा रहा घिनौना खेल

नागौर. जिले में किसानों को यूरिया के नाम पर कचरा परोसा जा रहा है।

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Nagaur patrika

Nagaur Two year old urea placed in a shop in the market

नागौर. जिले में किसानों को यूरिया के नाम पर कचरा परोसा जा रहा है। दो साल पुराने यूरिया में नमी एवं मॉइश्चराइजर की कमी होने से न केवल उसकी गुणवत्ता प्रभावित हुई है, बल्कि खरीफ का उत्पादन भी प्रभावित होने के आसार नजर आने लगे हैं। यूरिया की बोरियों में अवधि पार तिथि अंकित नहीं होने का फायदा उठाते हुए कंडम उत्पाद की बिक्री जिले भर में होने से स्थिति विकट होती नजर आने लगी है। इस संबंध में काश्तकारों से बातचीत हुई तो उनका कहना था जिम्मेदारों की बेपरवाही ने उनकी उपज को खतरे में डाल दिया है। जिले भर में तकरीबन 600 यूरिया के डीलर्स के मार्फत सैंकड़ों किसानों के पास यूरिया पहुंचता है। विभागीय जानकारों का कहना है कि जिले के किसी भी दुकानदार के पास नए यूरिया का स्टॉक नहीं है। सभी के पास वर्ष 2015 का ही पुराना स्टॉक का यूरिया ही उपलब्ध है। वजह उच्च स्तर पर भी दुकानदारों को कथित रूप से पुराने स्टॉक के यूरिया की आपूर्ति कर दी गई है। सूत्रों के मुताबिक करीब 4500 मीट्रिक टन यूरिया बचे होने के कारण पहले इसकी खपत, फिर नया माल की तर्ज पर कर दिया गया। जानकारों का कहना है कि अब दुकानदार भी वही यूरिया बेचेंगे, जो उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा। अब दुकानदार नया यूरिया कहां से लेकर आएंगे। यह स्थिति अकेले नागौर की नहीं, बल्कि जिले के सभी 14 ब्लॉकों में बनी हुई है। यूरिया ज्यादा समय तक रखे रहने के कारण न केवल उसमें मॉइश्चराइजर की कमी हो जाती है, बल्कि नाइट्रोजन की मात्रा भी निर्धारित मापदंड से घट जाती है। यही नहीं,बारिश के बाद ज्यादातर रखे हुए यूरिया में बड़े-बड़े डेले बन जाते हैं। विशेषज्ञों की नजर में गुणवत्ता की कमी एवं यूरिया के डेलों में बदलने के कारण उपज में डालने पर इसका फायदा की जगह नुकसान ही होता है। इस संबंध में कृषि अधिकारी शंकर सियाग से बातचीत हुई तो उनका कहना था कि यूरिया पुराना होने से गुणवत्ता प्रभावित तो होती है, लेकिन सही वस्तुस्थिति तो प्रयोगशाला जांच के बाद ही सामने आ सकती है।
दुकानदार भी बात करने से कतराए
इस संबंध में शहर के दो दुकानदारों से बातचीत हुई तो वह नए व पुराने की यूरिया की स्थिति को लेकर बात करने से बचते नजर आए। दुकानदारों का कहना था कि यूरिया तो अवधिपार नहीं होता है। इसे जब चाहे इस्तेमाल किया जा सकता है। उनके यहां पर उपलब्ध यूरिया के नमूनों की जांच हुई क्या, के सवाल का जवाब भी देने से दुकानदारों ने परहेज बरता। बातचीत के दौरान वे पूरा मामला गोलमोल करने में
लगे रहे।
विभाग ने खेला खेल, परेशान अन्नदाता...!
इस संबंध में डीडवाना, परबतसर, कुचामन, मकराना, डेगाना, रियाबड़ी, मेड़ता, नावां आदि क्षेत्र के काश्तकारों से बातचीत हुई तो उनका कहना था कि पुराना यूरिया ले आने के बाद बोरियों से ढोंके निकल रहे हैं। अनुभवी किसानों का कहना था कि यूरिया पुराना होने के कारण उसमें न केवल गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है, बल्कि उपज में डालने पर उसका कोई फायदा भी नहीं मिलने वाला। इस संबंध में संबंधित कृषि विभाग के कार्यालयों में भी समस्या जाकर बताई गई, लेकिन कहीं कोई सुनवाई ही नहीं होती है। अब किसकी शह पर हम किसानों के साथ यह खेल खेला जा रहा है, समझ से परे है। किसानों का मानना है कि विभाग को जिले भर की दुकानों से नमूनों को लेकर प्रयोगशाला में जांच करानी चाहिए, ताकी सही वस्तुस्थिति सामने आ सके। हालांकि उन्हें पता है कि इसमें नुकसान है, लेकिन विभाग खुद को सही मानता है तो एक बार जांच कराए।