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अंग्रेजी स्कूलों को लेकर अभिभावकों में असमंजस, बच्चों का प्रवेश करवाएं या नहीं

शिक्षा विभाग करवा रही महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का सर्वे, दूसरी तरफ लिए जा रहे हैं अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में चल रही है प्रवेश प्रक्रिया, कहीं अधरझूल में न रह जाए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के बच्चे

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नागौर. प्रदेश की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के कार्यकाल में खोले गए महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में प्रवेश को लेकर अभिभावक असमंजस की स्थिति में हैं। एक तरफ शिक्षा विभाग की ओर से अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में प्रवेश के लिए आवेदन लिए गए हैं, वहीं दूसरी तरफ शिक्षा विभाग की ओर से अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को वापस हिन्दी माध्यम के रूप में संचालन करने के लिए सर्वे करवाया जा रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में करीब 3700 अंग्रेजी माध्यम स्कूलें संचालित हैं, जिनमें नागौर जिले में 70 व डीडवाना कुचामन जिले में 112 स्कूलें हैं, जिनमें नए सत्र के लिए प्रवेश प्रक्रिया के तहत 12 मई तक ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में बच्चों का प्रवेश कराने के लिए अभिभावकों में काफी उत्साह भी देखा गया है। लेकिन जैसे ही अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को हिन्दी माध्यम में परिवर्तित करने को लेकर सर्वे की जानकारी सामने आई, अभिभावकों में एक संशय पैदा हो गया है कि कहीं प्रवेश कराने के बाद सरकार विद्यालय को हिन्दी माध्यम में नहीं बदल दे। यदि प्रवेश कराने के बाद विभाग ने अंग्रेजी को हिन्दी माध्यम स्कूल में बदल दिया तो बच्चे न तो घर के रहेंगे और न ही घाट के।

एसडीएमसी की है मांगी राय
शिक्षा विभाग की ओर से करवाए जा रहे सर्वे में अंग्रेजी माध्यम विद्यालय के भवन, कक्षा-कक्षों की संख्या, शिक्षकों की संख्या, विद्यार्थियों की संख्या के साथ पास में अंग्रेजी या हिन्दी माध्यम विद्यालय है या नहीं आदि की जानकारी मांगी गई है। सूत्रों का कहना है कि शून्य नामांकन और बिना शिक्षकों वाले महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों को वापस हिन्दी माध्यम में बदला जा सकता है। इसमें एसडीएमसी व जिला शिक्षा अधिकारी की भी राय मांगी गई है। संभवत: इन दोनों की हरी झंडी मिलने के बाद ही किसी भी अंग्रेजी माध्यम स्कूल को वापस हिन्दी में परिवर्तित किया जाएगा।

एसडीएमसी के प्रस्ताव पर लेंगे निर्णय
हां, यह बात सही है कि विभाग की और से अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का सर्वे करवाया जा रहा है, लेकिन बंद करने या नहीं करने का निर्णय विद्यालय की विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति (एसडीएमसी) के प्रस्ताव पर ही लिया जाएगा। अभी तक तो हमारे पास यही जानकारी है।
- अर्जुनराम जाजड़ा, एडीईओ, शिक्षा विभाग, नागौर