
Finally orders were given to vacate MCH wing
भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ा किया गया एमसीएच विंग का भवन खाली करने की अनुमति हो गई है। एनएचएम के मिशन निदेशक डॉ जितेन्द्र कुमार सोनी ने शुक्रवार को एमसीएच विंग को तत्काल प्रभाव से पुराना अस्पताल भवन में शिफ्ट करने की अनुमति जारी की है।
गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने एक दिसम्बर को 'भ्रष्टाचार की इमारत: अधिकारियों को बचाने के चक्कर में सैकङों मरीजों की जान दांव पर' शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर उच्चाधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया था। इससे पहले भी पत्रिका ने समय-समय एमसीएच विंग के भवन में किए गए भ्रष्टाचार को लेकर समाचार प्रकाशित किए थे।
एनएचएम के एमडी डॉक्टर सोनी ने नागौर के पंडित जवाहर लाल नेहरू राजकीय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी के नाम जारी आदेश में बताया कि उनकी ओर से भेजे गए पत्र के क्रम में एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर की रिर्पोट एवं पांच सदस्यीय राज्य स्तरीय कमेटी की रिर्पोट के आधार पर तथा अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार पंडित जवाहर लाल नेहरू राजकीय चिकित्सालय, नागौर में संचालित एमसीएच विंग की जर्जर स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए जनहित में तत्काल प्रभाव से पुराना अस्पताल भवन नागौर में स्थानान्तरित किए जाने की अनुमति प्रदान की जाती है।
गौरतलब है कि सुरक्षा की दृष्टि से शुरू ही विवादों में रहा एमसीएच विंग का भवन अब खतरे से खाली नहीं है। करीब एक महीने पहले जोधपुर इंजीनियरिंग कॉलेज की टीम ने जांच की, जिसमें भवन गैर-विनाशकारी परीक्षण में पूरी तरह फेल हो गया हो। अब तो मरीज भी अंदर जाने से डरने लग गए।
मरीज बोले - अस्पताल में लगता है डर
भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ा किया गया एमसीएच भवन भले ही दो महीने पहले किए गए गैर-विनाशकारी परीक्षण में पूरी तरह फेल हो गया हो, लेकिन चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को अब भी इसमें कुछ जगह सेफ (सुरक्षित) नजर आ रही है। शुक्रवार को नागौर दौरे पर आए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं अजमेर जोन के संयुक्त निदेशक डॉ. इंद्रजीत सिंह से पत्रिका ने जब इस सम्बन्ध में सवाल किया तो बोले कि भवन को खाली कराने के प्रयास किए जा रहे हैं, वर्तमान में जो जगह सेफ है, वहां मरीज भर्ती किए जा रहे हैं और उपचार कर रहे हैं। जबकि हालात यह है कि भवन किसी भी दृष्टि से कहीं से भी सुरक्षित नहीं है, कोई भी क्षेत्र खतरे से खाली नहीं है। अब तो मरीज भी अंदर जाने से डरने लगे हैं। भवन में जगह-जगह से टपक रहे पानी से आई दरारों व गिर रहे प्लास्टर को देखकर मरीज एवं उनके परिजन डर के मारे निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर हैं।
एईएन ने दो साल पहले
उपखंड नागौर के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सहायक अभियंता ने दो साल पहले 4 अक्टूबर 2021 को जिला कलक्टर के निर्देश के बाद एमसीएच विंग का निरीक्षण करने के बाद जो रिपोर्ट तैयार की, उसमें उन्होंने बताया कि - इस भवन को मरम्मत होने तक खाली रखना ही उचित होगा। छत का प्लास्टर व कंक्रीट गिरने से जन हानि होने का अंदेशा हमेशा बना हुआ है।
एनएचएम की कार्यशैली पर उठे सवाल
हालांकि एमसीएच विंग का भवन शुरू से ही सुरक्षा को लेकर विवादों में रहा। राजस्थान पत्रिका ने समय-समय पर समाचार प्रकाशित कर अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट किया। जेएलएन अस्पताल में पिछले पांच साल में जो भी पीएमओ रहे, उन्होंने इतने पत्र लिखे कि फाइल का वजन तीन किलो से ज्यादा हो गया है। मामला ज्यादा गंभीर होने पर एनएचएम के अधिकारियों ने पिछले दो साल में कभी सीवरेज लाइन बदलने के नाम पर तो कभी मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए खर्च कर दिए। गत दिनों जांच कराने के लिए 5.31 लाख रुपए इंजीनियरिंग कॉलेज को जमा करवाए। यदि पहले ही यह जांच करवा लेते तो लाखों रुपए बर्बाद नहीं होते। पूरे मामले में विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
एसीबी ने भी दबाई फाइल
एमसीएच यूनिट के भवन निर्माण में किए गए भ्रष्टाचार को गंभीरता से लेते हुए तत्कालील जिला कलक्टर कुमारपाल गौतम के पत्र पर एसीबी के अधिकारियों ने 6 सितम्बर 2018 को अस्पताल पहुंचकर निर्माण सामग्री के नमूने लिए थे। नागौर एसीबी के अधिकारियों की ओर से जयपुर भेजी गई रिपोर्ट के बाद मुख्यालय से पीडब्ल्यूडी की तकनीकी कमेटी से जांच करवाकर भिजवाने के लिए कहा गया। लम्बे समय तक मामला दबाने के बाद करीब दो साल पहले तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र सोनी के हस्तक्षेप के बाद क्वालिटी कंट्रोल बोर्ड ने जांच कर एसीबी को रिपोर्ट दी, जो स्थानीय अधिकारियों ने जयपुर मुख्यालय भेज दी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई एसीबी की ओर से भी नहीं की गई।
Published on:
02 Dec 2023 03:19 pm
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