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एक तगारी सीमेंट में मिलानी थी 6 तगारी बजरी, ठेकेदार ने 11 से अधिक मिलाई

घटिया निर्माण के बावजूद अधिकारी माप पुस्तिका में दर्ज करते गए प्रगति और देते रहे भुगतानपहले हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने किया कबाड़ा, अब एसीबी कार्यालय में दफन हो गई मुकदमों की फाइलें

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In one Tagari cement, instead of 6 Tagari, 11 Tagari gravel was mixed

In one Tagari cement, instead of 6 Tagari, 11 Tagari gravel was mixed

नागौर. शहर के बालवा रोड पर हाउसिंग बोर्ड की ओर से विकसित की गई 2000 से अधिक मकानों की डॉ. भीमराव अम्बेडर आवासीय कॉलोनी में ठेकेदारों ने जमकर भ्रष्टाचार किया। एसीबी ओर से 8 अक्टूबर 2014 को दर्ज किए गए मुकदमे में विधि विज्ञान प्रयोगशाला जयपुर की जांच रिपोर्ट के आधार पर यहां तक लिखा गया है कि अधिकारियों ने ठेकेदारों से मिलीभगत कर मकानों का घटिया निर्माण करवाया, जिसका खमियाजा आज आवंटी भुगत रहे हैं।

मकानों की चिनाई में जहां ठेकेदार को एक तगारी सीमेंट में छह तगारी बजरी मिलानी थी, वहां ठेकेदार ने 11 तगारी से ज्यादा बजरी मिलाकर रेत के मकान खड़े कर दिए। अचरज की बात तो यह है कि मुकदमा दर्ज होने के आठ साल बाद भी न तो अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई और न ही ठेकेदारों से वसूली हुई। उल्टा जयपुर में बैठे हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी अपने अधीनस्थ अधिकारियों पर यह दबाव बनाते रहे कि ठेकेदारों का शेष भुगतान भी कर दिया जाए।
खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल की ओर से विधानसभा में लगाए गए सवाल के जवाब में एसीबी की ओर से दिए गए जवाब में बताया गया कि हाउसिंग बोर्ड के सेक्टर एक के 60 मकानों का काम करने वाली मैसर्स मोजदीन कन्ट्रक्शन कम्पनी एवं सेक्टर चार में 45 आवास का निर्माण करने वाली मैसर्स बीएस कन्ट्रक्शन कम्पनी के ठेकेदारों को बीएसआर रेट से अधिक दर पर ठेके दिए गए, इसके बावजूद लाखों रुपए की सीमेंट कम काम ली।

विधि विज्ञान प्रयोगशाला जयपुर की परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार सेक्टर एक के 60 आवासों में चिनाई कार्य में सीमेंट, बजरी का अनुपात 1:6 के स्थान पर 1:11.5 व 1:11 तथा आरसीसी/डीपीसी/लिंटल कार्य में सीमेंट, बजरी व कंकरीट का अनुपात 1:1.5:3 के स्थान पर 1:3.25:4.5 व 1:3:3.5 रखा। इसी प्रकार सेक्टर 4 के 45 आवासों में चिनाई कार्य में सीमेंट, बजरी का अनुपात 1:6 के स्थान पर 1:10.75 तथा आरसीसी/डीपीसी/लिंटल कार्य में सीमेंट, बजरी व कंकरीट का अनुपात 1:1.5:3 के स्थान पर 1:2.75:6 रखा। इससे मकानों की गुणवत्ता खराब हो गई।

19.97 प्रतिशत अधिक रेट दी, फिर भी पेट नहीं भरा
सेक्टर एक में मध्यम आय वर्ग ए के 60 आवासों के निर्माण का ठेका मोजदीन कन्ट्रक्शन कम्पनी को बीएसआर रेट से 19.97 प्रतिशत अधिक दर पर दिया गया। इसके लिए कुल राशि 3 करोड़, 25 लाख, 99 हजार 676 रुपए स्वीकृत की गई थी। तत्कालीन आवासीय अभियंता हाकमचंद पंवार ने 11 जून 2012 को 60 मकानों का निर्माण करने के लिए कार्यादेश दिए। निर्माण कार्य के दौरान परियोजना अभियंता प्रमोद कुमार माथुर ने समय-समय पर उक्त कार्य को चैक कर कार्य का माप पुस्तिका में माप एवं मूल्यांकन इंद्राज किया। साथ ही समय-समय पर पांच रनिंग बिलों को आवासीय अभियंता पंवार ने पारित करते हुए 68 लाख 66 हजार 145 रुपए का भुगतान फर्म कर दिया।

मकानों की गुणवत्ता की बजाए भुगतान का ध्यान रखा
इसी प्रकार सेक्टर नम्बर 4 में मध्यम आय वर्ग ए के 45 आवासों के निर्माण का ठेका मैसर्स बीएस कन्ट्रक्शन कम्पनी बीकानेर को 14.95 प्रतिशत अधिक दर पर दिया गया। जिसका कुल स्वीकृत बजट 2 करोड़, 97 लाख, 59 हजार 719 रुपए था। इसमें भी आवासीय अभियंता पंवार ने 23 सितम्बर 2012 को निर्माण कार्य के कार्यादेश दिए गए और परियोजना अभियंता माथुर ने समय-समय पर निर्माण कार्य को चैक कर कार्य का माप पुस्तिका में दर्ज किया। इस फर्म को भी अलग-अलग रनिंग बिलों के माध्यम से एक करोड़, 8 लाख, 26 हजार 481 रुपए का भुगतान कर दिया। जिन अधिकारियों की जिम्मेदारी मकानों की गुणवत्ता की जांच करना था, उन्होंने केवल ठेकेदारों को भुगतान करने का ध्यान रखा।

एसीबी की कुंडली, समझ से परे
प्रदेश में एसीबी के अधिकारियों ने पिछले तीन साल में जमकर कार्रवाई की और भ्रष्टाचारियों को सलाखों के पीछे भेजा, लेकिन हाउसिंग बोर्ड से जुड़े इस प्रकरण को दर्ज हुए 8 साल पूरे हो चुके हैं, जबकि परिवाद फरवरी 2013 में ही दर्ज हो गया था। कई बार अधिकारियों ने चालान पेश करने की बात कही, लेकिन अब तक आरोपियों के खिलाफ चालान पेश नहीं किया जा सका। हाउसिंग बोर्ड से जुड़े तीनों मुकदमों की फाइलों पर एसीबी की कुंडली मारकर बैठना समझ से परे है।