10 जुलाई 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों के अभाव में बालिका शिक्षा का बंटाधार

15 में से 5 कन्या महाविद्यालय, बाकी सहशिक्षा की कॉलेज, बिना शिक्षकों के पढ़ाई का हो रहा बंटाधार, सरकारी कॉलेजों में छात्राओं की संख्या छात्रों से डेढ़ गुना अधिक, लेकिन सहायक आचार्यों के पद 90 फीसदी खाली, बिना शिक्षकों के कैसे पढ़ेंगी बेटियां, कैसे बढ़ेगी बेटियां

Girls college news

नागौर. जिले सहित प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों सहायक आचार्य की कमी बालिका शिक्षा के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। नागौर जिले में यूं तो सभी 15 कॉलेजों में छात्राओं को प्रवेश लेने की छूट है, लेकिन पांच कॉलेज ऐसे हैं, जहां केवल छात्राएं ही प्रवेश ले सकती हैं, इनमें प्राचार्य सहित कुल 45 शैक्षणिक पद स्वीकृत हैं, लेकिन दुर्भाग्य से 36 पद खाली पड़े हैं। इनमें भी तीन कॉलेज ऐसे हैं, जहां न तो प्राचार्य हैं और न ही शैक्षणिक स्टाफ। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिना शिक्षकों के बालिका शिक्षा की गुणवत्ता कया होगी।

जिले के सरकारी कॉलेजों की सुखद तस्वीर यह है कि यहां पढऩे वाले 11 हजार 18 नियमित विद्यार्थियों में छात्रों की संख्या जहां 4519 है, वहीं छात्राओं की संख्या 6499 है, यानी छात्रों से छात्राओं की संख्या 1980 ज्यादा है। मतलब साफ है, पिछले कुछ सालों में महिला शिक्षा की तस्वीर बदल रही है, छात्राएं पढ़ रही हैं, लेकिन जब वे उच्च शिक्षा के लिए कॉलेजों में प्रवेश लेती हैं तो उनके सपने चकनाचूर हो जाते हैं, क्योंकि सरकार ने बालिका शिक्षा के नाम पर कॉलेज तो खोल दिए, लेकिन पांच-पांच साल बाद भी उनमें शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक स्टाफ नहीं लगाया।

जिले में कन्या महाविद्यालयों में शैक्षणिक पदों की स्थिति

कॉलेज - स्वीकृत - कार्यरत - रिक्त - जीरो पोस्टिंग वाले विषय

श्रीमती माडीबाई कन्या महाविद्यालय नागौर - 13 - 8 - 5 - 2

राजकीय कन्या महाविद्यालय खींवसर - 8 - 0 - 8 - 7

राजकीय कन्या महाविद्यालय पांचला सिद्धा - 8 - 0 - 8 - 7

राजकीय कन्या महाविद्यालय मेड़ता - 8 - 1 - 7 - 6

राजकीय कन्या महाविद्यालय डेगाना - 8 - 0 - 8 - 7

योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ

बालिकाओं को अपने अधिकारों और भविष्य के बारे में जागरूक करने में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, लेकिन कॉलेजों में शिक्षकों की कमी के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है। शिक्षकों की कमी के कारण बालिकाएं कॉलेज छोडऩे को मजबूर हो रही हैं। सरकारी कॉलेजों में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण उन्हें इन योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।

इस प्रकार हो सकता है समाधान

- सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए सरकार को तुरंत कदम उठाने होंगे।

- रिक्त पदों को भरने के लिए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को तेज करना होगा।

- बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं का धरातल पर क्रियान्वयन सुनिश्चित हो।