
bypass road
Nagaur's bypass road is stuck for four years नागौर. मानव शरीर में जो महत्व रक्त नसिकाओं का है, वही महत्व किसी देश एवं राज्य में सडक़ों का है। सडक़ें किसी क्षेत्र के लिए जीवन रेखा के रूप में काम करती हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश नागौर शहर एवं आसपास के क्षेत्र में पिछले तीन-चार वर्षों से सडक़ों एवं पुलों का काम अटका पड़ा है। चिकने घड़े बनकर बैठे ठेकेदारों के आगे अधिकारियों के प्रयास बौने साबित हो रहे हैं और चुनाव में मोटी-मोटी बातें करने वाले राजनेता भी ठेकेदारों के निकम्मेपन पर चुप्पी साधे हुए बैठे हैं। नागौर-जोधपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-65 की सडक़ को नागौर-बीकानेर राष्ट्रीय राजमार्ग-89 की सडक़ से जोडऩे के लिए चार साल पहले शुरू किया गया बाइपास आज भी अधूरा पड़ा है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ठेकेदार कम्पनी जीवीआर ने मात्र 28 से 30 प्रतिशत काम पूरा किया है।
जानिए, क्या है पूरा प्रोजेक्ट
सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्रशासन विभाग के माध्यम से नागौर-बीकानेर राष्ट्रीय राजमार्ग- 89 की सडक़ा का सुदृढ़ीकरण करने के लिए करीब पांच साल पहले प्रोजेक्ट तैयार कर सडक़ के साथ विभिन्न स्थानों पर आरओबी एवं फ्लाईओवर बनाने का काम पीपीपी प्रोजेक्ट पर जीवीआर कम्पनी को सौंपा था। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 378.07 करोड़ रुपए तय की गई। इसमें जोधपुर रोड को चुगावास से गोगेलाव तक बीकानेर रोड से मिलाने के लिए 12.07 किमी का बाइपास प्रस्तावित किया गया। इसमें चुगावास, नपावास, गोवा, राजूवास, डूकोसी, इंदास व गोगेलाव गांव कवर होने हैं। इस बाइपास में बासनी रोड व इंदास रोड पर दो पुल भी बनने हैं। इसके साथ नागौर से बीकानेर तक बनने वाले इस प्रोजेक्ट में नागौर के अलावा श्रीबालाजी व नोखा में भी बाइपास बनाने थे। इस परियोजना में चार आरओबी भी प्रस्तावित हैं, जो अलाय, छीला, देशनोक व पलाना में बनने थे, लेकिन ठेकेदार कम्पनी के निकम्मेपन के कारण चार साल बाद भी काम अधूरा है।
बाइपास बनने से होगा नागौर शहर का भार कम
जोधपुर रोड से बीकानेर रोड को मिलाने वाला 12.07 किमी का बाइपास पूरा होने के बाद नागौर शहर का यातायात भार आधा रह जाएगा। भारी वाहनों की आवाजाही लगभग बंद हो जाएगी। लाडनूं रोड से डीडवाना रोड व मूण्डवा रोड होते हुए जोधपुर रोड को मिलाने वाला 19.225 किमी का बाइपास लगभग पूरा बन चुका है और पुलों का काम अंतिम चरण में है, ऐसे में यदि जोधपुर-बीकानेर बाइपास का काम पूरा हो जाए तो भारी वाहनों को शहर में आने की आवश्यकता नहीं रहेगी और शहर के आसपास होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आएगी। खासकर कॉलेज रोड का यातायात सुगम हो जाएगा। साथ ही भारी वाहनों के दबाव से बार-बार टूटने वाली शहर की सडक़ें भी ज्यादा दिन चलेंगी।
वन टाइम सेटलमेंट हो गया
केन्द्र सरकार के स्तर पर ठेकेदार के साथ वन टाइम सेटलमेंट हो गया है। अब सरकार के स्तर पर ही नए टेंडर करने की प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी।
- मुकेश शर्मा, अधिशासी अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग प्रशासन, नागौर
Published on:
03 Oct 2019 12:15 pm
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