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दोबारा जॉब कार्ड के गड़बड़झाले में उलझे नरेगा श्रमिक

रियांबड़ी तहसील में नए जॉब कार्ड बनाने की प्रक्रिया में गोलमाल

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Narega workers working in the mess of the job card again

Narega workers working in the mess of the job card again

थांवला.गांवों के गरीबों व बेरोगारों को रोजगार देने के लिए शुरू की गई मनरेगा योजना लालफीताशाही की भेंट चढ गई लगती है। तकरीबन एक दशक बाद अब मनरेगा श्रमिकों के जॉब कार्डों का नवीनीकरण किया जाना है, लेकिन मनरेगा मेें रोजगार की आस लेकर दो जून रोटी की जुगाड़ में नया जॉबकार्ड बनवा लेने के बाद भी वह ठगा सा ही महसूस कर रहे हैं। वे भी समझ नहीं पा रहे कि जब उसने इसी साल नवंबर में जेब से प्रति श्रमिक फोटो व कार्ड के 100 रुपए तक खर्च कर दौडधूप की व अन्त में टका सा जवाब मिल गया कि ये नहीं चलेंगे, क्योंकि रद्द कर दिए गए हैं। श्रमिकों को यह भी कहा गया है कि रोजगार तो तभी मिलेगा जब ऊपर प्रशासन के नए तुगलकी फरमानों की पालना में अब फिर से नए जॉब कार्ड में परिवार के सभी वांछित श्रमिकों को अपना पासपोर्ट आकार का फोटो लगेगा।

यह है मामला

रियांबड़ी उपखण्ड की सभी 37 ग्राम पंचायतों के लगभग 90 हजार से ज्यादा श्रमिक परिवारों के लिए में नवंबर की शुरुआत के साथ ही नए जॉब कार्ड बनाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई थी तथा दिसंबर के पहले सप्ताह तक लगभग सभी श्रमिकों के जॉब कार्ड भी आवश्यक खानापूर्ति कर बना दिए गए, लेकिन इसी बीच जिला परिषद नागौर से ग्राम पंचायतों को निर्देश मिलते हैं कि जो जॉब कार्ड बनाए जा रहे हैं वह सही नहीं है प्रारूप बदल दिया गया है। इसलिए अब जिला परिषद की तरफ से उपलब्ध करवाई जा रहे नए जॉब कार्ड में नए सिरे से पासपोर्ट फोटो खिंचवाकर लगवाने व बनवाने की प्रक्रिया पुन: प्रारंभ की जाए। आदेशों की पालना में कवायद आनन फानन में फिर शुरू की गई बीते 3-4 सप्ताह से रियंाबड़ी तहसील की सभी 37 ग्राम पंचायतों में नया जॉबकार्ड-2 के लिए श्रमिकों से भागदौड़ शुरू करवा दी गई।
अब नि:शुल्क बनाए जा रहे हैं पासपोर्ट फोटो

नए जॉब कार्ड की इस मैराथन रेस में ग्रामीणों के आक्रोश से बचने की जुगत में प्रशासन ने श्रमिक ग्रामीणों की पासपोर्ट आकार में नि:शुल्क फोटो बनाने की दुविधायुक्त सुविधा तैयार है। नरेगा कार्मिको की माने तो 31 दिसंबर अंत तक इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के भी आदेश मिले हुए हैं, लेकिन अभी तक श्रमिकों को खिंचवाई गई नि:शुल्क फोटो भी ग्राम पंचायतों को उपलब्ध नहीं करवाई गई है। ऐसी स्थिति में समय पर जॉब कार्ड बन जाना भी एक दूर की कौड़ी ही साबित हो रहा है। मामले दूसरा पहलू नजअंदाज करना भी गलत होगा कि मनरेगा ऐसे गांव में चलाई जा रही है। जहां गरीबी व बेरोजगारी है तो फिर सभी श्रमिकों को नि:शुल्क पासपोर्ट फोटो कैसे व कब तक बनाए जा सकेंगे।
पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में

अब सवाल खड़ा होता है कि जब पुराने प्रारूप में जॉब कार्ड मान्य नहीं था तो इन्हें बनाने की प्रक्रिया किन आदेशों के तहत प्रारंभ की गई और जब प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में पूर्ण होने जा रही थी। तभी जिला परिषद को अपने द्वारा छपवाए गई जॉब कार्ड को ही मान्य करार देकर पुराने जॉब कार्ड जो हाल ही में नवीनीकृत कर भरे गए थे। रद्द करने की जरूरत क्यों पड़ गई। इस संपूर्ण कवायद में ठगे तो मनरेगा श्रमिक ही गए हैं जो दो जून की रोटी के लिए मनरेगा श्रमिक का कार्य करते हैं। इन मेहनतकशों के पसीने से कमाई के रुपयों से अपने द्वारा खिंचवाई गई फोटो व भरे गए जॉब कार्ड को एक ही फरमान से रद्द करने की क्या नौबत आ पड़ी है। श्रमिक भी हताश होने के साथ ही परेशान भी है क्योंकि प्रशासन के तुगलकी फरमान को नहीं मानने की सूरत में रोजगार से भी हाथ धोना पड़ सकता है । इसी का डर कह दो कि अपना काम धंधा छोडकऱ नरेगा श्रमिक आईटी केंद्रों पर अपने पासपोर्ट आकार की निशुल्क फोटो खिंचवाने की जद्दोजहद में मजबूरन खड़ा होना पड़ रहा है।

जिला परिषद के नए जॉब कार्ड में मोटे आवरण को लेमिनेट तो कर गया कर दिया गया है, लेकिन इसके अंदर नरेगा श्रमिक का विवरण भरने के लिए अलग से अन्र्तपृष्ठ ना लगाकर कवर के पीछे ही पासपोर्ट फोटो लगाकर खाना पूर्ति की जा रही है। महंगे आर्ट पेपर पर लेमिनेशन कर देने से पेन से लिखा जाना संभव नही है, क्योंकि पन्ने पर किसी भी पेन की स्याही टिक नहीं पा रही है जबकि पुरानी जॉब कार्ड में ऐसा नहीं था अंदर भी हरे पेपर थे तथा बाहर लेमिनेशन युक्त मजबूत कवर कार्ड शीट पर बनाया गया था जो मजबूती के लिहाज से भी ज्यादा टिकाऊ था, जिला परिषद के छपवाए नए कार्ड में इसका अभाव है।