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वाह रे किसान हितैषी सरकार! एक साल पुराना प्रीमियम भी नहीं दिया

pradhan mantri fasal bima yojana प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में राज्य सरकार का उदासीन रवैया किसानों के लिए पड़ रहा भारी, रबी 2018-19 की फसल बीमा योजना का 25 प्रतिशत प्रीमियम अब भी बाकी

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Pradhnmantry fasal beema yojana

नागौर. चुनाव के समय राजनेता किसानों के वोट लेने के लिए जिस प्रकार गला फाड़-फाडकऱ किसान हितैषी होने का झूठा दंभ भरते हैं, उसकी पोल सत्ता मे आने के बाद खुल जाती है। प्रदेश में कांग्रेस पिछले एक साल से सत्ता में हैं और पिछले एक साल में जिस प्रकार किसानों के साथ छलावा किया गया है, उससे सरकारी दावों की पोल पूरी तहर खुल गई है। चाहे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना pradhan mantri fasal bima yojana का प्रीमियम जमा कराना हो या फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से मूंग खरीदना हो, सरकार किसान हित से जुड़े हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही है।

फसल बीमा की प्रीमियम राशि का 2 प्रतिशत किसान से भले ही ले लिया जाता है, लेकिन (प्रीमियम की शेष राशि में से आधा केन्द्र सरकार और आधा राज्य सरकार वहन करती है।) अपने हिस्से की राशि राज्य सरकार एक साल बाद भी जमा नहीं करवा रही है, जिसके कारण किसानों को फसल बीमा का क्लेम मिलने में दो साल तक समय लग जाता है। यही कारण है कि नागौर सहित प्रदेश के लगभग सभी जिलों में किसानों को खरीफ 2018 का क्लेम भी अब तक पूरा नहीं मिल पाया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार नागौर जिले में खरीफ-2018 में जिले के किसानों को 44.40 करोड़ रुपए क्लेम के रूप में मिलने थे, जिसमें से अब तक 43.13 करोड़ रुपए ही किसानों के खातों में जमा हो पाए हैं। ऐसे में रबी 2018-19 व खरीफ 2019 की स्थिति क्या होगी, यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

गत वर्ष का प्रीमियम भी नहीं दिया
रबी 2018-19 में जिले के किसानों का कुल क्लेम मात्र 12.20 करोड़ रुपए बना है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा जमा करवाए जाने वाले प्रीमियम की 25 प्रतिशत राशि बाकी होने के कारण बीमा कम्पनी क्लेम जारी नहीं कर रही है। जबकि खरीफ-2019 की फसल बीमा योजना में बीमा कम्पनी को अब तक सरकार ने प्रीमियम का एक धेला भी नहीं दिया है।

अभावग्रस्त गांवों को राहत का इंतजार
गौरतलब है कि नागौर सहित प्रदेश के अधिकांश जिलों में इस बार अधिक बारिश के चलते फसलें नष्ट हो गई थी, वहीं कहीं सूखे की स्थिति भी बनी थी। नागौर जिले की यदि हम बात करें तो यहां करीब 50 गांवों में अधिक बारिश होने से अभाव ग्रस्त की श्रेणी में माना गया है, वहीं करीब सवा सौ गांव ऐसे हैं जहां सूखे की स्थिति रही। ऐसे में यदि सरकार समय पर प्रीमियम जमा करवाती तो किसानों को क्लेम मिलने से राहत मिलती, लेकिन एयर कंडीशनर कमरों में बैठे अधिकारियों एवं मंत्रियों को किसानों की पीड़ा दिखाई नहीं देती है, जिसके चलते दर-दर ठोकरें खाने को मजबूर हैं।

नहीं मिला सरकार के हिस्से का प्रीमियम
खरीफ-2019 में हमारी कम्पनी ने प्रदेश के 9 जिलों में किसानों की फसलों का बीमा किया था, जिसमें हमें अब तक सरकार के हिस्से की प्रीमियम राशि नहीं मिली है। रबी-2019-20 में हमारी कम्पनी प्रदेश के 19 जिलों में फसल बीमा करेगी।
- होशियारसिंह चौहान, क्लेम मैनेजर, एडीएफसी एर्गो, राजस्थान