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राजू ठेहट मर्डर: ताराचंद का शव पहुंचा तो रो पड़ा पूरा गांव, मोक्षधाम में भी पिता के चेहरे पर हाथ फेरकर रो रही थी बेटियां

बदमाशों की गोली का शिकार हुए ताराचंद कड़वासरा का शव तीसरे दिन सोमवार को दोपहर करीब ढाई बजे गांव पहुंचा तो परिजनों के साथ-साथ ग्रामीणों की आंखों से भी आसूं बह निकले। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था।

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पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क/तरनाऊ/नागौर। बदमाशों की गोली का शिकार हुए ताराचंद कड़वासरा का शव तीसरे दिन सोमवार को दोपहर करीब ढाई बजे गांव पहुंचा तो परिजनों के साथ-साथ ग्रामीणों की आंखों से भी आसूं बह निकले। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था, रिश्तेदार व ग्रामीण दिलासा देकर उन्हें चुप कराने का प्रयास करते, लेकिन खुद ही रो पड़ते।

तीन दिन से शव सीकर अस्पताल की मोर्चरी में था, इसलिए सबका दर्द दबा हुआ था, लेकिन जब बेकसूर ताराचंद का शव देखा तो रुलाई फूट पड़ी। मिलनसार व्यक्तित्व का धनी ताराचंद गांव में सब का चहेता था। बेटियों को बेटे से बढकर मानने वाले ताराचंद का मोह भी इस कदर था कि बेटियां मोक्षधाम में भी पिता के चेहरे पर हाथ फेरकर रो रही थी। रो-रोकर ताराचंद की तीनों बेटियों की आंखें पथरा गई।

अपनी बेटी से मिलने सीकर गए थे
ग्रामीणों ने जैसे-तैसे परिजनों को संभालते हुए ताराचंद के शव को घर से अंतिम संस्कार के लिए रवाना किया। बेटियों और बेटे को समान मानने वाले ताराचंद की बेटियों मोनिका, कोनिटा एवं बीना ने पिता की अर्थी को कंधा दिया। मोक्षधाम पहुंचने पर बेटे व बेटियों ने पिता को मुखाग्नि दी। गौरतलब है कि शनिवार को सीकर के पिपराली क्षेत्र में राजू ठेहट की हत्या कर भाग रहे हत्यारों ने नागौर जिले के बड़ी खाटू थाना क्षेत्र के दोतीणा निवासी ताराचंद कड़वासरा की गोली मारकर हत्या कर दी थी। ताराचंद अपनी बेटी से मिलने सीकर गए थे, लेकिन बदमाशों ने उससे पूर्व ही गोली मारकर हत्या कर दी।

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सक्षम बनाकर ही करना चाहते थे शादी

ताराचंद का सपना था कि तीनों बेटियां पहले अपना केरियर बना ले, उसके बाद ही उनकी शादी करूंगा। इसलिए वह खेती करके बच्चों को पढाने में लगा था, पर होनी को कौन टाल सकता है। ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। ताराचंद की मृत्यु से बेटे-बेटियों के सिर से पिता का साया जरूर उठा है, लेकिन समाज के लोग आगे आकर ताराचंद के सपने को सच करने के लिए आर्थिक सहायता में जुट गए हैं।

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धरने पर इन मांगों पर बनी सहमति
घटना के विरोध में नागौर जिले के सैकड़ों लोगों ने सीकर पहुंच कर अस्पताल मोर्चरी के बाहर धरना दिया, जो रविवार देर रात मांगें मानने तक जारी रहा। इस दौरान नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, लाडनूं विधायक मुकेश भाकर, राजस्थान यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष निर्मल चौधरी सहित जनप्रतिनिधियों ने धरने का समर्थन करते हुए रविवार देर रात को सरकार व प्रशासन से वार्ता कर मांगों पर सहमति बनाई। जिसमें ताराचंद की बेटी को सरकारी कॉलेज में एमबीबीएस की सीट मैनेजमेंट कोटे से फ्री करवाने की घोषणा के साथ परिवार को 5 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने की घोषणा की गई।

शवयात्रा में पहुंचे सैकड़ों लोग

सोमवार को ताराचंद का शव गांव पहुंचा तो आसपास के हजारों लोग दोतीणा पहुंच गए। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के साथ आमजन भी शवयात्रा में शामिल हुए। इस दौरान जायल के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे। शवयात्रा में जनप्रतिनिधि महावीर गोदारा, किसान नेता तेजाराम धेड़ू, प्रदीप कालवी, स्थानीय जनप्रतिनिधि बीरबल बांगड़ा सहित जायल तहसील के हजारों लोगों ने पहुंचकर थेपड़ी दी।

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सहयोग को आगे आया समाज
ताराचंद कड़वासरा की मौत के बाद क्षेत्र के युवाओं व समाज के लोगों ने बेटियों की शिक्षा व परिवार को सम्बल प्रदान करने के लिए सहायता की मुहिम चलाई है। मुहिम से जुड़े युवाओं ने बताया कि 24 घंटे में ही 24 लाख से अधिक सहयोग राशि एकत्र कर ली गई। सहयोग की यह मुहिम अब भी जारी है और लोग लगातार सहयोग कर रहे हैं, ताकि जिन बेटियों के सिर से पिता का साया उठ गया, उन्हें आगे की पढ़ाई करने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं आए। इस मुहिम में जायल तहसील के साथ ही नागौर जिला व सम्पूर्ण राजस्थान से लोग बेटियों के खाते में लाखों रुपए जमा करवा रहे हैं।