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शीतलाष्टमी का मेला भरा, माता को लगाया बास्योड़ा का भोग

मंदिर परिसर में लगी श्रद्धालुओं की कतार, रसोईघरों में आज नहीं जलेगा चूल्हा, जिमेंगे ठंडा भोजन

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The fair of Sheetlashtami was filled in Nagaur

The fair of Sheetlashtami was filled in Nagaur

नागौर. शहर के बीकानेर-जोधपुर बायपास स्थित शीतला माता मंदिर परिसर में रविवार को शीतलाष्टी के मेले का आयोजन किया जा रहा है। महिलाओं ने रविवार तडक़े ही मंदिर पहुंचकर शीतला माता को ठंडे भोजन (बास्योड़ा) का भोग लगाकर बच्चों को चर्म सम्बन्धी बीमारियों से संरक्षण की मनौती मांगी व खुशहाली की कामनाएं की। माता के भोग के साथ रविवार को ठंडा भोजन ग्रहण किया जाएगा। घरों में चूल्हा नहीं जलेगा यानी रसोईघरों में अवकाश रहेगा। गौरतलब है कि धार्मिक मान्यता है कि शीतला माता को ठंडी चीजें पसंद हैं, इसलिए उन्हें ठंडे भोजन का ही भोग लगाया जाता है और प्रसाद के तौर पर लोग भी इस दिन ठंडा भोजन ही खाते हैं।

धार्मिक उत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष पुखराज सांखला ने बताया कि शनिवार को मंदिर परिसर में रात्रि जागरण का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के अनेक कलाकारों ने माता रानी के भजनों की प्रस्तुतियां दी। मंदिर परिसर में मेले को लेकर सभी प्रकार की व्यवस्थाएं धार्मिक उत्सव आयोजन समिति, विश्व हिंदू परिषद तथा दुर्गा वाहिनी की ओर से की जा रही हैं। मेले के दौरान श्रद्धालुओं की कतार बनाने, सोशल डिस्टेंस की पालना सुनिश्चित कराने सहित अन्य व्यवस्थाओं को लेकर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारियां दी गई हैं।

महिलाओं ने बनाए पकवान
चैत्र के महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाए जाने वाले शीतला अष्टमी के त्योहार को लेकर नागौर शहर सहित जिले में गृहणियों ने शनिवार को पकवान एवं ठंडा भोजन बनाया। महिलाओं ने माताजी के भोग ‘ठंडा’ प्रसादी के रूप में मीठी नमकीन पुडिय़ां, सोगरा, शक्कर पारे, पंचकुटे व केरी-गूंदा की सब्जी, केरी पाक, लांजी, मठरी, सिलवड़े, खीचिए, पापड़, गुलगुले, खाजा, कांजी बड़े, दही बजे आदि कई तरह के मारवाड़ के पारम्परिक पकवान बनाए। पूजा के दौरान माता को बासे भोजन का भोग लगाया जाता है, इसी भोजन को लोग प्रसाद के तौर पर खाते हैं।

ठंडा खाने का वैज्ञानिक कारण
शीतलाष्टमी के दिन ठंडा भोजन करने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। वैज्ञानिक पक्ष पर गौर करें तो अब ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से मौसम का चक्र गड़बड़ हो चुका है, इस बार भी होली से एक महीने पहले ही सर्दी का असर समाप्त हो गया, लेकिन पहले के समय में ठंड के मौसम का असर होली तक रहता था। शीतला अष्टमी के दिन से ग्रीष्म काल की शुरुआत मानी जाती थी और इस दिन के बाद भोजन खराब होने लगता था। गर्मियों में बासी खाना खाने से बीमारियां होने की आशंका रहती है, ऐसे में शीतला अष्टमी के दिन बासी खाना खाकर ये संदेश देने की कोशिश की जाती थी कि आज बासी खाना खाने का आखिरी दिन है, इसके बाद गर्मियों में सिर्फ ताजा खाना ही खाने योग्य होगा।

शीतलाष्टमी पर नहीं होगा वाटर हॉली-डे
नागौर लिफ्ट परियोजना के अधिक्षण अभियंता अजय कुमार शर्मा ने बताया कि नहर बंदी को लेकर लिए गए निर्णय के बावजूद शीतलाष्टमी पर जिलेभर में पानी की सप्लाई की जाएगी। एसई शर्मा ने बताया कि नहरबंदी को लेकर पूर्व में पूरे नागौर जिले में हर रविवार को वाटर होली-डे रखने का निर्णय लिया गया था, ताकि नहर से मिल रहे पानी को समुचित रूप से स्टोर करने के उपरांत नहर बंदी के खत्म होने तक लगातार उचित मात्रा व उचित दवाब के साथ पेयजल उपलब्ध करवाया जाता रहे। पूर्व में निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 4 अप्रेल को वाटर हॉली-डे घोषित किया गया था, लेकिन शीतलाष्टमी के त्योहार को देखते हुए नागौर जिले में रविवार को पेयजल आपूर्ति पूर्व की तरह ही जारी रहेगी व वाटर होलीडे नहीं रखा जाएगा।

पानी को व्यर्थ नहीं बहाएं
एसई शर्मा ने बताया कि पहली बार 80 दिनों की नहरबंदी होने से पानी की कमी को देखते हुए आमजन पानी को व्यर्थ नहीं बहाएं और पेयजल का मितव्ययिता से उपयोग करें। कहीं भी पेयजल की व्यर्थ बर्बादी ना करें व कहीं भी लीकेज, ओवरफ्लो, पानी चोरी अथवा पाइप लाइन के टूटने की सूचना हो तो तत्काल 181 नंबर पर पेयजल विभाग के नाम से रजिस्टर करवाने का श्रम करें।