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गाड़ी काळी हो या धौळी, काळा शीशा रखना बना ट्रेंड, ऐसे वाहन बन रहे अपराधों के वाहक

कारों व बसों में काले कांच और काली फिल्म लगाने से बढ़ रहे अपराध, नियम विरुद्ध होने के बावजूद वाहन चालक लगवा रहे काले कांच, पुलिस की कार्रवाई नाकाफी, सख्ती जरूरी

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black shisha car

नागौर. नागौर जिले में पिछले काफी समय से वाहनों में काले कांच लगवाने का ट्रेंड बढ़ रहा है। बस, ट्रक, कार, जीप आदि वाहनों में काले ग्लास या काली फिल्म लगाना गैर कानूनी है। इसके बावजूद कई वाहन काले कांच और काली काली फिल्म लगाकर घूम रहे हैं। हालांकि यातायात पुलिस के साथ थानों की पुलिस काले शीशे लगे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करती है, लेकिन वो नाकाफी है। इसकी मुख्य जिम्मेदारी यातायात शाखा नागौर ही निभा रही है, शेष थानों की पुलिस केवल औपचारिकता पूरी कर रही है। कई थाने तो ऐसे हैं, जहां महीने में एकाध कर्रवाई भी नहीं की जा रही है। यही वजह है कि जिला मुख्यालय सहित जिलेभर की सडक़ों पर काले शीशे लगे वाहन सरपट दौड़ रहे हैं।

गौरतलब है कि तत्कालीन एसपी श्वेता धनखड़ ने काले शीशे लगे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर निर्देश जारी किए थे। पुलिस विभाग की ओर से विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में बताया कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 के तहत काली फिल्म, प्रकाश मानकों के दृश्य संचरण की गैर अनुपालना दण्डनीय है। काले कांच और काली फिल्म लगे वाहनों की ओर से किए जाने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए अवहेलना करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम के अन्तर्गत अधिकाधिक कार्रवाइयां की जा रही है। प्रदेश में पिछले 5 वर्ष में इसके अन्तर्गत कुल 3,97,783 वाहनों के विरूद्ध मोटर वाहन अधिनियम के अन्तर्गत कार्रवाई की गई है। इसके बावजूद जिले में काले शीशे लगी गाडिय़ां दौड़ रही हैं, जो अपराधों का माध्यम भी बन रही हैं। काले शीशे लगी कारों से हत्या और अपहरण सहित तस्करी की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। आपराधिक चरित्र वाले लोग अपनी पहचान छिपाने के लिए भी ऐसे वाहनों का उपयोग करते हैं।

वाहन में कौन, कैसे पता लगाएं

लग्जरी बसों और कारों के शीशे या तो काले होते हैं या फिर उनमें काली फिल्म लगाई जाती है। शहर में ऐसे सैकड़ों वाहन चल रहे हैं। यह पूरी तरह गैर कानूनी है। काला शीशा लगे वाहनों के अंदर क्या हो रहा है, कौन है, इसे सडक़ पर आने-जाने वाले देख नहीं सकते हैं। काला शीशा लगे वाहनों में सवार अपराधी अपराध को अंजाम देकर आसानी से फरार हो जाते हैं। कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से ठोस कार्रवाई के अभाव में शहर में काले शीशे वाले व्यवसायिक और निजी वाहन बेखौफ दौड़ रहे हैं।

जानिए, क्या है नियम?

केन्द्रीय मोटरयान निमय, 1989 के नियम 100 के तहत वाहनों की खिड़कियों के शीशे काले या रंगीन नहीं होने चाहिए। नियम के अनुसार वाहनों की खिड़कियों के साइड विंडो शीशा कम से कम 50 प्रतिशत और सामने और पीछे का शीशा 70 प्रतिशत पारदर्शी होना चाहिए। केंद्रीय मोटरवाहन नियमावली, 1989 के नियम ((2)) के तहत वाहनों में लगे काले शीशे को हटाने का प्रावधान है। वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने कारों के शीशों पर काली फिल्म लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसका उद्देश्य वाहनों के अंदर की दृश्यता को बढ़ाना और अपराधों को कम करना था।

काले शीशे लगवाना गैर कानूनी

वाहनों में काले शीशे लगवाना या फिर शीशे पर काली फिल्म लगवाना गैर कानूनी है। ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ विशेष अभियान चलाकर कार्रवाई की जा रही है और आने वाले दिनों में इसे और बढ़ाया जाएगा। इसके लिए सभी थानों को निर्देश जारी किए गए हैं।

- सुमित कुमार, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, नागौर