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नागौर जिले के किसानों को बांटे साढ़े 11 लाख सॉयल हैल्थ कार्ड, लेकिन परिणाम सिफर, जानिए क्यों?

नागौर जिले में पांच साल में 11.51 लाख मृदा कार्ड बनाने के बावजूद न उत्पादन बढ़ा और न ही मृदा का स्वास्थ्य सुधरा - मिट्टी परीक्षण की व्यवस्था ही पंगु, कैसे मिले किसानों को लाभ

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Soil health card

Soil health card

नागौर. जिले के किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच कर उसके स्वास्थ्य की जानकारी देने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा करीब छह वर्ष शुरू की गई योजना के तहत भले ही लाखों मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को बांटे जा चुके हैं, लेकिन उसका परिणाम नाममात्र भी नहीं मिला है। योजना की खामी एवं किसानों में जागरुकता की कमी के चलते न तो मृदा की सही जांच हो पाई और न ही किसान मृदा कार्डों में दी गई जानकारी के अनुसार अपने खेतों में मृदा का उपचार कर पाए।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड (सॉयल हैल्थ कार्ड) योजना की नागौर जिले के संदर्भ में बात करें तो इस योजना के तहत नागौर जिले में किसानों को कृषि विभाग ने 11 लाख 51 हजार 551 कार्ड तैयार करवाकर वितरित कर दिए हैं, लक्ष्य 7 लाख 58 हजार 462 सॉयल हैल्थ कार्ड वितरण करने का था। इसके बावजूद दुनिया में हर 5 दिसम्बर को मनाए जाने वाले ‘विश्व मृदा दिवस’ (World soil day) का उद्देश्य प्रदेश एवं देश में दूर-दूर तक पूरा होते नहीं दिख रहा है। यदि यह कहा जाए कि मिट्टी परीक्षण की भारतीय व्यवस्था ही पंगु है, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि यहां किसानों को सतत रूप से जानकारी देने की सुविधा नहीं है कि उनकी मिट्टी कैसी हो गई है और किस तरह का उपचार कर वे उसे ठीक कर सकते हैं तथा ज्यादा उपज प्राप्त कर सकते हैं।

उद्देश्य सही था, लागू नहीं कर पाए
गौरतलब है कि जानकारी के अभाव में किसान उरर्वकों का अंधाधुंध उपयोग कर रहे थे, जिससे न केवल किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा था, बल्कि जमीन भी खराब हो रही थी और अधिक उपयोग से अनाज की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही थी। इसका समाधान करने एवं उत्पादन बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार ने सॉइल हैल्थ कार्ड योजना लागू की थी, लेकिन जानकारी के अभाव में किसान आज भी हैल्थ कार्ड की रिपोर्ट जाने बिना उरर्वकों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे सरकार द्वारा खर्च किए गए करोड़ों रुपए उसी मिट्टी में मिल रहे हैं।

ये भी रही बड़ी कमी
विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार इस योजना के तहत 10 हैक्टेयर व ढाई हैक्टेयर जमीन से एक नमूना लिया गया, जबकि जिले में कई खेत एक हैक्टेयर से भी छोटे हैं। ऐसे में 10 हैक्टेयर में कई किसानों की जमीन आ जाती है, इसलिए 8-10 किसानों को एक ही प्रकार के मृदा कार्ड वितरित कर दिए, जबकि होना यह था कि प्रत्येक किसान के प्रत्येक खेत का मृदा कार्ड बनाया जाता। ताकि किसान उसके अनुसार उपचार करता या उर्वरकों का उपयोग करता।

उत्पादन के आंकड़े बताते हैं कि योजना का कोई असर नहीं
19 फरवरी 2015 को राजस्थान के सूरतगढ़ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत जिले में साढ़े 11 लाख कार्ड बनाकर किसानों को वितरित किए जा चुके हैं। किसानों को दी गई मृदा के पोषक तत्वों की जानकारी के हिसाब से यदि किसान खेती करते तो जिले में उत्पादन की मात्रा भी बढऩी थी, लेकिन वर्ष 2015-16 से खरीफ 2020 तक के उत्पादन आंकड़ों पर नजर डालें तो कोई विशेष अंतर नहीं देखा गया है। जिले में मुख्य रूप से उगाए जाने चाले बाजरा व मूंग का उत्पादन देखें तो वर्ष 2015-16 में जहां बाजरा का उत्पादन 3 लाख 25 हजार 492 मैट्रिक टन था, वह वर्ष 2017-18 में 2 लाख 87 हजार मैट्रिक टन हो गया। इस वर्ष भी बाजरा का उत्पादन 2.86 लाख मैट्रिक टन उत्पादन हुआ है। इसी प्रकार मूंग का उत्पादन वर्ष 2016-17 में जहां 4.50 लाख मैट्रिक टन था, वह अगले वर्ष यानी 2017-18 में 4.36 लाख मैट्रिक टन तथा वर्ष 2018-19 में 4.02 लाख मैट्रिक टन उत्पादन हुआ। इस वर्ष भी मूंग का उत्पादन 4.73 लाख मैट्रिक टन हुआ है। यही हाल अन्य फसलों के हैं।

जानिए, क्या है सॉयल हेल्थ कार्ड
एसएचसी (सॉयल हैल्थ कार्ड) एक प्रिंटेड रिपोर्ट है जिसे किसान को उसके प्रत्येक जोतों के लिए दिया गया है। इसमें 12 पैरामीटर जैसे एनपीके (मुख्य - पोषक तत्व), सल्फर (गौण - पोषक तत्व), जिंक, फेरस, कॉपर, मैग्निश्यम, बोरॉन (सूक्ष्म - पोषक तत्व) और इसी ओसी (भौतिक पैरामीटर) के संबंध में उनकी सॉयल की स्थिति निहित की गई। इसके आधार पर एसएचसी में खेती के लिए अपेक्षित सॉयल सुधार और उर्वरक सिफारिशों को भी दर्शाया जाता है। इसमें विभिन्न आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा की संबंध में सिफारिशों को दर्शाकर किसानों को उर्वरकों और उसकी मात्रा के संबंध में सलाह दी गई,। जिसका उन्हें प्रयोग करना चाहिए और मृदा सुधारकों की भी स्थिति के बारे में सलाह दी गई है, जिससे उपज का अनुकूल लाभ प्राप्त किया जा सके।

मृदा के पोषक तत्व पता चलते हैं
मृदा में कुल 17 प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनमें से 9 मुख्य पोषक तत्व तथा 8 सूक्ष्म पोषक पाए जाते हैं। इन पोषक तत्वों में से यदि एक की भी मृदा में कमी होती है तो फसल उत्पादन में विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए मृदा में सभी पोषक तत्वों की वास्तविक स्थिति का पता मृदा परीक्षण से ही चलता है व जिन तत्वों की कमी पाई जाती है उनकी जानकारी उर्वरक व खाद के रूप में सॉयल हैल्थ कार्ड द्वारा किसानों को दी जाती है, ताकि उनका प्रयोग करके उत्पादन बढ़ा सके। नागौर जिले में योजना के तहत 11 लाख 51 हजार से अधिक कार्ड तैयार करवाकर वितरित कर दिए। अब प्रत्येक कृषि पर्यवेक्षक को 20-20 नमूनों का लक्ष्य दिया गया है।
- हरजीराम चौधरी, उपनिदेशक, कृषि विभाग, नागौर