
महिलाएं बनीं बदलाव की मिसाल (photo source- Patrika)
CG News: कभी नक्सल हिंसा और भय के साये में जीने वाला अबूझमाड़ क्षेत्र आज आत्मनिर्भरता और सुशासन की मिसाल बन चुका है। नारायणपुर जिले के ओरछा विकासखंड के ग्राम कच्चापाल में अब विकास और समृद्धि की नई कहानी लिखी जा रही है। नियद नेल्लानार योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के तहत यहाँ की महिलाओं ने न केवल अपनी तकदीर बदली, बल्कि पूरे क्षेत्र में उमीद की नई किरण जगाई है।
कच्चापाल के आश्रित ग्राम ईरकभट्टी की महिलाएँ-मांगती गोटा और रेनी पोटाई-जो लालकुंवर स्व-सहायता समूह से जुड़ी हैं, अपने हाथों से उगाई गई जैविक बासमती चावल लेकर अब राजधानी तक पहुँची हैं। कभी शहर का नाम तक न जानने वाली ये महिलाएँ आज अपने गाँव की पहचान बन चुकी हैं। एरिया कोऑर्डिनेटर सोधरा धुर्वे बताती हैं कि पहले लाल आतंक के कारण कोई सरकारी योजना यहाँ नहीं पहुँच पाती थी, लेकिन पुलिस कैप स्थापित होने और शासन की सक्रिय पहल से महिलाओं में आत्मविश्वास और बचत की भावना विकसित हुई है।
कच्चापाल और उसके आसपास के गांव अब आत्मनिर्भरता, शांति और विकास के प्रतीक बन चुके हैं। कभी अंधेरे और भय में डूबे इस अबूझमाड़ क्षेत्र में अब सुशासन का सवेरा उतर आया है-एक ऐसा सवेरा जो भय से विश्वास और गरीबी से समृद्धि की ओर बढ़ते नए छत्तीसगढ़ की सच्ची कहानी कहता है।
CG News: रेनी पोटाई, स्थानीय निवासी: उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा भी हमारे गाँव आए थे और हमें प्रोत्साहित किया था। इस बार हमने केवल चावल ही नहीं, बल्कि बाँस की टोकनी और झाड़ू भी तैयार किए हैं। हमारे समूह ने इस वर्ष 40 क्विंटल जैविक बासमती चावल का उत्पादन किया है।
मांगती गोटा, स्थानीय निवासी: हम हमेशा से बिना रासायनिक खाद के जैविक तरीके से बासमती चावल उगाते थे, लेकिन बिचौलिए हमसे 15-20 रुपये किलो में खरीद लेते थे। बिहान योजना से जुड़ने और प्रशिक्षण मिलने के बाद हमें असली कीमत का पता चला। अब राज्योत्सव में हमारा चावल 120 रुपये किलो बिक रहा है और लोग इसे उत्साह से खरीद रहे हैं।
Updated on:
06 Nov 2025 01:07 pm
Published on:
06 Nov 2025 01:06 pm
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