
खाकी हुई शर्मशार : जिनके हवाले दरख्तों की हिफाजत थी, वही जंगल के सौदागर निकले
नारायणपुर. Chhattisgarh Police : "जिनके हवाले दरख्तों की हिफाजत थी, वही जंगल के सौदागर निकले"। कुछ ऐसा ही मामला छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में देखने को मिला। जिस पुलिस वालों के जिम्मे नक्सलियों से लोगों की सुरक्षा है। वही पुलिस वाले नक्सली बन कर लोगों को लूट रहे थे। पुलिस वाले इसे नक्सली घटना मान कर जांच भी करते थे लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं आता था। जैसा की कहा जाता है गुनहगार कितना भी शातिर क्यों ना हो कोई ना कोई गलती जरूर करता है। ऐसा ही इस बार भी हुआ और उनकी एक गलती के कारण वह पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
बस लूटने के बाद लगा दिया था आग
नारायणपुर में पिछले कुछ दिनों में लगतार लूट की घटनाएं हो रही थी। लूटेरों को पकड़ने की उनकी सारी कोशिश नाकाम हो रही थी। इसी बीच बीते मंगलवार को रात में बेनूर थाने क्षेत्र के कोकोड़ी गंगामुंडा में बस्तर ट्रैवल्स के एक यात्री बस को लूटने के बाद आग लगा दिया गया। लूटपाट को ऐसे अंजाम दिया गया की लोगों को यह नक्सली घटना लगे। चार नकाबपोश लोगों ने सड़क पर मोटरसाइकिल आड़ी-तिरछी खड़ी कर दी।जब बस (सीजी-17 एफ-0930) सड़क पर रुक गई तो हथियारबंद नकाबपोशों ने बस को कब्जे में ले लिया। उन्होंने यात्रियों और चालक-परिचालक के मोबाइल लूट लिए। फिर सभी को नीचे उतारकर बस में आग लगा दी।
ऐसे चढ़े पुलिस के हत्थे
एसपी मोहित गर्ग ने बताया कि बस जलाने की घटना के दौरान लूटे गए मोबाइल को ट्रैक करने के लिए पुलिस ने उसे सर्विलांस पर डाला हुआ था। उन्हीं में से एक मोबाइल का लोकेशन जिले के ग्राम बम्हनी थाना जिला कोंडागांव में मिला। टीम कोंडागांव गई। वहां बस्तर और कोंडागांव पुलिस की संयुक्त टीम गठित कर पुलिस ने बम्हनी गांव पहुंची तो उसके होश उड़ गए। लूट की घटना को अंजाम देने वाले पुलिस विभाग के ही कर्मचारी निकले।
पुलिस विभाग में सहायक आरक्षक पद पर भर्ती माधव कुलदीप (35) को उसके घर में दबोच लिया। उसके पास से दो एयर पिस्टल, लूट की चार मोबाइल, बाइक और नगद राशि बरामद की। उसकी निशानदेही पर हिरदूराम कुमेटी (26) और डोलेंद्र बघेल (21) को भी गिरफ्तार किया गया।डोलेंद्र के कब्जे से तीन मोबाइल, एक बाइक व नगद राशि और हिरदूराम के पास से तीन मोबाइल और नगदी बरामद हुई। इसमें हिरदूराम पुलिस विभाग का बर्खास्त आरक्षक है, जबकि आरक्षक माधव काफी समय से ड्यूटी से गैरहाजिर चल रहा था। हालाँकि ये आरोपी समर्पण कर चुके नक्सली थे। जिन्हे पुलिस विभाग में नौकरी दी गयी थी।
आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों पर उठे सवाल
एक मछली पुरे तालाब को गन्दा कर देती है। पकडे गए आरोपियों के कारण लोग अब आत्मसमर्पण कर सामान्य जीवन जी रहे नक्सलियों को शक की नजर से देखने लगे हैं। जहाँ एक तरफ आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली नक्सलियों से लोहा लेते हुए अपनी ईमानदारी और बहादुरी का परिचय दे रहे हैं तो दूसरी तरह कुछ लोगों की करतूतों के कारण उन्हें भी शर्मिंदा होना पड़ रहा है।
इन वारदात में भी थे शामिल
31 जुलाई : ओरछा मार्ग पर दो गाड़ी वालों को रोककर 11500 रुपये लूटे।
02 अगस्त : दंडवन-फरसगांव के सीसी मार्ग पर तीन लोगों को रोककर रुपये और मोबाइल लूटे।
04 अगस्त : मारडूम-बारसूर मार्ग पर गाड़ी वालों को रोककर 17500 रुपये, मोबाइल लूटे। गुप्ता ट्रैवल्स से पांच लाख रुपये की मांग की।
11 अगस्त : कोकोड़ी कैंप के पहले रास्ता रोककर गाड़ी वालों से 11 हजार रुपये लूटे।
Published on:
17 Aug 2019 05:41 pm
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