
Narmada river pollution: नर्मदा नदी में गंदगी मिलने से उसे प्रदूषण मुक्त करने की बहुप्रतीक्षित योजना अधूरी पड़ी हुई है। नगर पालिका और मध्य प्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कंपनी द्वारा वर्ष 2016-17 में 129 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई थी, लेकिन निर्माण कार्य की धीमी गति के चलते अब तक लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है।
शुरुआती चरण में प्रास कंपनी को ठेका दिया गया था, लेकिन उसने काम अधूरा छोड़ दिया। इसके बाद जून 2023 में दूसरी कंपनी को यह प्रोजेक्ट सौंपा गया। अब तक 95 किलोमीटर भूमिगत पाइपलाइन बिछाई जा चुकी है, लेकिन 1 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), 1 मेन पंपिंग स्टेशन और 4 पंप हाउस का निर्माण अब तक अधूरा है। दिसंबर 2025 तक इस योजना को पूरा करने का एक्सटेंशन दिया गया है, लेकिन कार्य की धीमी गति के कारण नर्मदा को प्रदूषण मुक्त करने के प्रयासों का असर फिलहाल नजर नहीं आ रहा है।
नगर पालिका अध्यक्ष नीतू यादव के अनुसार, फिल्टर प्लांट का निर्माण पूरा होते ही शहर के नालों को बंद कर दिया जाएगा। इसे जुलाई 2025 तक पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। संबंधित एजेंसी को जल्द कार्य पूर्ण करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
नर्मदा नदी में मिल रहे सीवरेज के कारण जल में प्रदूषण कारक सूक्ष्म जीवाणुओं (बैक्टीरिया) की संख्या बढ़ती जा रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जनवरी 2025 में सेठानी घाट और राजघाट से जल के नमूने लिए गए, जिनकी जांच में पानी की गुणवत्ता बी ग्रेड पाई गई। विशेषज्ञों के अनुसार, नर्मदा जल अब केवल फिल्टर करने के बाद ही उपयोग किया जा सकता है।
नर्मदा कॉलेज के रसायन विभागाध्यक्ष एसके उदयपुरे के अनुसार, 'नर्मदा के दूसरे तट पर कोई नाला नहीं मिलता, इसलिए वहां का जल तुलनात्मक रूप से अधिक स्वच्छ रहता है। नगर पालिका को प्राथमिकता के आधार पर नालों को बंद कराने की जरूरत है।'
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मंडीदीप के प्रभारी रवि भारती ने बताया कि पानी की जांच में एमपीएन (मोस्ट प्रॉबेबल नंबर) 500 तक पाया गया है, जबकि मानकों के अनुसार यह 50 से कम होना चाहिए। इससे स्पष्ट होता है कि सीवरेज के पानी के कारण नर्मदा का जल गुणवत्ता में गिरावट का सामना कर रहा है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों के तहत सितंबर 2024 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 10 जिलों के 16 नगरीय निकायों पर 79.44 करोड़ रुपये का पर्यावरण क्षति हर्जाना लगाया था। इसमें नर्मदापुरम नगर पालिका पर सबसे अधिक 3.46 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया।
जानकारी के अनुसार, शहर के 33 वार्डों के लगभग 30 हजार घरों का निकासी पानी छोटे-बड़े नालों के जरिए सीधे नर्मदा में मिल रहा है। बोर्ड द्वारा सेठानी घाट से राजघाट तक अलग-अलग स्थानों से जल के नमूने लिए गए, जिनमें बैक्टीरिया की मात्रा मानकों से काफी अधिक पाई गई।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और पंपिंग स्टेशनों का निर्माण जल्द पूरा नहीं हुआ, तो नर्मदा जल की गुणवत्ता में और गिरावट आ सकती है। नगर पालिका और संबंधित एजेंसियों को इस योजना को शीघ्र पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि जीवनदायिनी नर्मदा को प्रदूषण मुक्त किया जा सके।
Published on:
20 Mar 2025 09:24 am
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