
6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के गुंबद को ध्वस्त किया गया था (Photo-IANS)
Babri Masjid: बाबरी मस्जिद विध्वंस की हर वर्षगांठ पर एक नया विवाद खड़ा हो जाता है। हाल ही में मौलाना मदनी और तृणमूल कांग्रेस के विधायक हुमायूं कबीर ने विवाद खड़े कर रखे हैं। एक ओर मदनी बाबरी विध्वंस को मुसलमानों पर अत्याचार बता रहे हैं, तो वहीं विधायक बंगाल में बाबरी की नींव रखने का दावा कर रहे हैं।
बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के गुंबद को ध्वस्त किया गया था। इसके लिए देश भर से लाखों कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे। इसके बाद देश भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई, खासतौर पर मुस्लिम समाज में। हालत यह रही कि तमाम बड़े शहरों में प्रदर्शन हुए, दंगे शुरू हो गए। अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद देश में सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में कई बड़े बदलाव हुए। इस दौरान केंद्र से लेकर राज्यों तक कई सरकारें बदलीं, नेतृत्व बदला और साथ ही राजनीतिक परिदृश्य भी बदल गया।
हालात बिगड़ते देख केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार ने बीजेपी शासन वाली चार राज्य की सरकारों को बर्खास्त कर दिया था। सरकार बर्खास्त करने का कारण देश में कानून व्यवस्था बिगड़ने से रोकने का दिया गया था। देश में इस तरह की राजनीतिक घटना पहली बार हुई थी, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी आलोचना भी की गई थी।
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई। जगह-जगह इसके विरोध में प्रदर्शन हुए और कई जगह दंगे शुरू हो गए। दबाव के कारण केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए कानून व्यवस्था बिगड़ने के मुद्दे पर BJP की चार राज्यों की सरकारों को बर्खास्त कर दिया था।
ये चार राज्य उत्तर प्रदेश, जहां कल्याण सिंह की सरकार थी; हिमाचल प्रदेश, जहां शांता कुमार की सरकार थी; राजस्थान, जहां भैरों सिंह शेखावत की सरकार थी; और मध्यप्रदेश, जहां सुंदर लाल पटवा की सरकार थी। इन सभी की सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। देश में ऐसा पहली बार हुआ था कि केंद्र ने एक साथ चार सरकारों को बर्खास्त किया।
अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाए जाने के बाद देश के कई हिस्सों में साम्प्रदायिक हिंसा तेजी से फैलने लगी। बाबरी विध्वंस की घटना हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच एक संघर्ष का कारण बन गई, जिसके कारण हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे थे। इन दंगों में भारी संख्या में लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
देशभर से लाखों कार सेवकों की भीड़ नारे लगाती हुई अयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद की ओर आगे बढ़ रही थी। इनमें हजारों लोग एक साथ नारे लगा रहे थे, "जय श्री राम, राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे," और "एक धक्का और दो..." इस नारे की गूंज से पूरी अयोध्या नगरी गूंज रही थी और कारसेवक इन नारों के साथ उत्तेजित हो रहे थे। देखते ही देखते लाखों लोगों की भीड़ मस्जिद के अंदर घुस गई और ढांचे को तोड़ने लगी। कारसेवक हाथों में बल्लम, कुदाल और छैनी-हथौड़ा लिए विवादित ढांचे को तोड़ने लगे; यह सब होने में महज दो घंटे का वक्त लगा।
बीजेपी ने अपनी चार राज्यों की सरकार के बर्खास्त होने पर राम मंदिर के बहाने हिंदुत्व के मुद्दे को हवा दी। इसके बावजूद हिमाचल, यूपी और एमपी में भाजपा जीत दर्ज नहीं कर पाई। हालांकि बीजेपी राजस्थान में वापसी करने में कामयाब रही। वहीं 1995 के बाद हुए आम चुनावों में बीजेपी ने हिंदुत्व के सहारे पकड़ बनानी शुरू कर दी थी। मंदिर मसले पर ही पहली बार बीजेपी केंद्र की सत्ता में पहुंची।
1996 में हुए आम चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उस समय बीजेपी ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पहली बार केंद्र में सरकार बनाई थी, लेकिन बहुमत साबित न कर पाने के कारण सरकार मात्र 13 दिन ही चल पाई।
इसके बाद 1998 में हुए लोकसभा के चुनावों में भाजपा ने वापसी करते हुए अटल बिहारी के नेतृत्व में सरकार बनाई और वाजपेयी दोबारा प्रधानमंत्री बने।
बाबरी विध्वंस के दिन सुबह 11.45 बजे उत्तर प्रदेश में फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक ने बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि परिसर का दौरा किया था। हालांकि दौरा करने के बाद भी वे हालातों को समझ नहीं पाए थे। राम जन्मभूमि पर हुए आयोजनों में उन्हें कोई गड़बड़ नजर नहीं आई और सब कुछ कारसेवकों का सामान्य कार्यक्रम ही लगा था।
समय बीतने के साथ वहां कारसेवकों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही थी। दोपहर तक कारसेवकों की भीड़ बाबरी मस्जिद के गुंबद पर चढ़ने में कामयाब हो गई थी। गुंबद पर चढ़ी बेकाबू कारसेवकों की भीड़ पर किसी का नियंत्रण नहीं रहा और कारसेवकों ने गुंबद को तोड़ना शुरू कर दिया और देखते ही देखते कारसेवकों ने मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था।
Updated on:
03 Dec 2025 09:04 pm
Published on:
03 Dec 2025 08:56 pm
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