
Bihar Election: बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने है। विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारी तेज कर दी है। विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन और एनडीए गठबंधन की लगातार बैठक हो रही है। वहीं इन दोनों दलों के बड़े नेता लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। पिछले दिनों अमित शाह और राहुल गांधी ने भी बिहार का दौरा किया था। हालांकि विधानसभा चुनाव को लेकर अभी तीसरे मोर्चे की कोई सुगबुगाहट तो नहीं है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि असदुद्दीन ओवैसी और प्रशांत जैसे नेता गठजोड़ कर तीसरा मोर्चा बना सकते हैं।
पिछले दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) प्रमुख पशुपति पारस ने एनडीए का साथ छोड़ दिया था। विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन को यह बड़ा झटका माना जा रहा है। हालांकि अभी तक पशुपति पारस ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे महागठबंधन में शामिल होंगे या नहीं। लेकिन एनडीए छोड़ने के समय उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी सभी 243 सीटों के लिए तैयारी कर रही है। यदि महागठबंधन उचित सम्मान नहीं देता है तो भविष्य की राजनीति पर विचार करेंगे।
बता दें कि विधानसभा चुनाव में अभी तक महागठबंधन और एनडीए गठबंधन ही है। बता दें कि महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी और वाम दल शामिल है। वहीं एनडीए गठबंधन में बीजेपी, जेडीयू, हम और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) शामिल है। विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर और असदुद्दीन ओवैसी और प्रदेश की छोटी पार्टी गठजोड़ कर तीसरा मोर्चा बना सकती है। यदि पशुपति पारस महागठबंधन में शामिल नहीं होते तो वे भी तीसरे मोर्चा में शामिल हो सकते है।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), ने सीमांचल क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया, जिससे महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, और अन्य सहयोगी दलों का गठबंधन) को नुकसान हुआ। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एआईएमआईएम ने पांच सीटें जीती, जो कि मुस्लिम बहुल सीटें थी।
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर (जन सुराज पार्टी), असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM), और पशुपति पारस (राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी) के प्रभाव से दोनों प्रमुख गठबंधनों NDA और महागठबंधन (INDIA) को नुकसान होने की संभावना है, लेकिन नुकसान की प्रकृति और मात्रा गठबंधन, क्षेत्र, और जातिगत समीकरणों पर निर्भर करेगी। हालांकि प्रशांत किशोर की पार्टी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही है। हालांकि पिछले साल हुए उपचुनाव में भी प्रशांत किशोर की पार्टी चुनावी मैदान में उतरी थी और राजद को नुकसान पहुंचाया था। इसके अलावा किशोर का फोकस युवा और सामान्य वर्ग के मतदाताओं पर है, जो परंपरागत रूप से NDA (BJP-JD(U)) को समर्थन देते हैं।
Published on:
19 Apr 2025 04:18 pm
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