सात मिनट के इस वीडियो में स्पष्ट रूप से जवाहरलाल नेहरू पर पाकिस्तान के निर्माण के लिए मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग की मांगों के आगे झुकने का आरोप लगाया गया है। वीडियो में विभाजन से जुड़ी तसवीरें, वीडियो और नाटकीय दृश्यों का उपयोग किया गया है। बीजेपी ने वीडियो में सिरिल जॉन रेडक्लिफ को दिखाया है और बताया कि कैसे 2 जून 1947 में नेहरू और जिन्ना के बीच देश बंटवारे पर हस्ताक्षर हुए थे।
वीडियो में कहा गया है कि भारत 1947 में वो विभाजन नहीं रोक पाया क्योंकि कांग्रेस के जिन नेताओं पर उस विभाजन को रोकने की ज़िम्मेदारी थी उन्होंने अंत समय में बिना भारत के लोगों को विश्वास में लिए विभाजन का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इस वीडियो में नेहरू का नाम लेकर तो उनको ज़िम्मेदार नहीं ठहराया गया है, लेकिन वीडियो में जब ये बातें कही जा रही होती हैं तब जवाहर लाल नेहरू की फुटेज व वीडियो चलाए जा रहे होते हैं।
बीजेपी ने वीडियो के साथ कैप्शन में लिखा, “जिन लोगों को भारत की सांस्कृतिक विरासत, सभ्यता, मूल्यों, तीर्थों का कोई ज्ञान नहीं था, उन्होंने मात्र तीन सप्ताह में सदियों से एक साथ रह रहे लोगों के बीच सरहद खींच द। उस समय कहां थे वे लोग जिन पर इन विभाजनकारी ताक़तों के ख़िलाफ़ संघर्ष करने की ज़िम्मेदारी थी?”
कांग्रेस ने इस पर पलटवार किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने के पीछे प्रधानमंत्री की वास्तविक मंशा सबके सामने आ गई। वह दर्दानाक ऐतिहासिक घटनाओं को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। इस दिन लाखों लोग विस्थापित हुए और जानें गईं। उनके बलिदानों को भुलाया या अपमानित नहीं किया जाना चाहिए।”
जयराम रमेश ने कहा, “क्या प्रधानमंत्री आज जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी याद करेंगे, जिन्होंने शरत चंद्र बोस की इच्छा के खिलाफ बंगाल के विभाजन का समर्थन किया था, और स्वतंत्र भारत के पहले कैबिनेट में शामिल हुए, जब विभाजन के दर्दनाक परिणाम स्पष्ट रूप से सामने आ रहे थे? देश बांटने के लिए आधुनिक दौर के सावरकर और जिन्ना का प्रयास आज भी जारी है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गांधी, नेहरू, पटेल और अन्य नेताओं की विरासत को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्र को एकजुट करने का प्रयास जारी रखेगी। नफरत की राजनीति हारेगी।”