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केंद्र के आदेश पर CBI करेगी दिल्ली सरकार की 1,000 लो फ्लोर बसों की खरीद की जांच

 
1000 लो फ्लोर बसों की खरीद मामले में 10 जुलाई को दिल्ली सरकार को क्लीन चिट मिल गई थी। एलजी द्वारा बनाई गई जांच समिति ने दिल्ली सरकार को क्लीन चिट दी थी।

Aug 19, 2021 / 06:27 pm

Dhirendra

low floor busses

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नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ( AAP ) और भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) के बीच लंबे अरसे से तनातनी एक बार फिर सामने आ गया है। इस बार तनातनी दिल्ली बीजेपी की ओर से 1000 एसी लो फ्लोर बसों की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद केंद्र सरकार ( Central Government ) द्वारा सीबीआई जांच ( CBI Investigation ) कराने के आदेश देने की वजह से है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ( Union Home Ministry ) ने एलजी अनिल बैजल द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय पैनल की ओर से पेश रिपोर्ट के आधार पर जांच के ये आदेश दिए हैं। केंद्र के इस फैसले को दिल्ली सरकार ने उत्पीड़न करार दिया है। ताजा अपडेट के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1000 एसी लो फ्लोर बसों ( Low Floor Busses ) की खरीद की गहन जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है। साथ ही केंद्रीय ब्यूरो को इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करने को कहा है।
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केजरीवाल सरकार के खिलाफ गहरी साजिश

वहीं दिल्ली सरकार ( Delhi Government ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इन आरोपों में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है। इस मामले की गहन जांच के लिए पहले ही एक कमेटी गठित कर दी गई थी, जिसने दिल्ली सरकार को क्लीन चिट दे दी थी। यह केजरीवाल सरकार के खिलाफ राजनीति से प्रेरित एक साजिश है। भाजपा दिल्ली के लोगों को नई बसें लेने से रोकना चाहती है।
सीबीआई का दुरुपयोग

दिल्ली सकरार ने अपने बयान में कहा गया है कि केंद्र दिल्ली सरकार को परेशान करने के लिए सीबीआई ( CBI ) का उपयोग पहले भी कर चुकी है। इस प्रयास में केंद्र सरकार को एक बार भी सफलता नहीं मिली है। ऐसा इसलिए कि उनके किसी भी आरोप में कभी कोई सच्चाई नहीं रही है। दिल्ली सरकार बदनामी की राजनीति में विश्वास नहीं करती। वह केवल सुशासन में विश्वास करती है। सुशासन के अपने वादे को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
3 सदस्यीय पैनल को नहीं मिले भ्रष्टाचार के सबूत

इससे पहले जानकारी यह सामने आई थी कि एलजी द्वारा नियुक्त पैनल ने बसों की निविदा और खरीद में दिल्ली परिवहन निगम ( DTC ) को क्लीन चिट दे दी थी। लेकिन पैनल ने अपनी रिपोर्ट में बस खरीद को लेकर निर्णय लेने से संबंधित मामले में खामियों का जिक्र जरूर किया है। पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि बसों की खरीद की निविदा प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप नहीं है। समिति को भ्रष्टाचार व आपराधिक कदाचार से संबंधित कोई सबूत नहीं मिले हैं। हालांकि, बस खरीद में बाजार को समझने के लिए अधिक प्रयास और बोलियों के औचित्य का आकलन करने के लिए उच्च स्तर की उचित परिश्रम की आवश्यकता थी, जिसके लिए कोई प्रयास नहीं किया गया।
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11 जून से बसों की खरीद पर जारी है रोक

दिल्ली सरकार परिवहन विभाग ने 11 जून को आदेश जारी कर एक हजार बसों की खरीद प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने इसपर कहा था कि एलजी द्वारा जांच के आदेश को ध्यान में रखते हुए खरीद प्रक्रिया पर रोक लगाई गई है। बता दें कि दिल्ली परिवहन निगम दिल्ली सरकार के अधीन आता है। पिछले साल मार्च में 1,000 सीएनजी लो-फ्लोर बसों की खरीद के लिए एक निविदा जारी की गई थी। केजरीवाल सरकार ने इन बसों और एएमसी की खरीद पर 875 करोड़ खर्च करने का फैसला लिया था।

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