नम आखें, दिलों में रोष के आगे सबसे बड़ी मुश्किल थी लाचारी। अपने सामने अपनों को मौत के मुंह में जाते हुए देखना और कुछ ना कर पाने की बेबसी ने दिल्ली को दहला दिया था। एक बार फिर इस तरह के हादसे ने उन जख्मों को कुरेद दिया है। आइए जानते हैं कब-कब दिल्ली में ऐसे भीषण हादसे हुए।
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ऐसा पहली बार नहीं जब दिल्ली में भीषण अग्निकांड में जिंदा लोग जलकर राख हो गए। पहले भी इस तरह के हादसों ने दिल्ली को गहरे जख्म दिए हैं।
उपहार सिनेमा का वो दर्दनाक दिन
13 जून 1997- दक्षिण दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा का वो दर्दनाक दिन हर दिल्लीवासी के साथ-साथ देशभर के लोगों के जहन में अब भी ताजा है। पर्दे पर फिल्म बॉर्डर का प्रदर्शन हो रहा था। शो के दौरान अचानक आग लग गई। उपहार सिनेमा में हुए इस अग्निकांड में 59 जिंदगियां जलकर राख हो गईं।
लाल कुआं इलाके में लगी आग
लाल कुआं इलाके में हुआ अग्निकांड भी उन हादसों में से एक है जिसने राजधानी को झकझोर कर रख दिया। ये हादसा 31 मई 1999 को हुआ। जब लाल कुआं के एक रासायनिक बाजार में अचानक आग लग गई। इस अग्निकांड में 57 की दर्दनाक मौत हो गई। यही नहीं इस हादसे में 27 लोग जख्मी भी हुए।
दिल्ली का नंद नगरी इलाका अब उस दिन का गवाह है जब किन्नरों के एक सम्मेलन में लगी आग ने ऐसा तांडव मचाया कि देखते ही देखते सबकुछ खाक हो गया। ये हादसा 20 नवंबर 2011 को हुआ।
नंद नगरी इलाके में किन्नरों के सर्वधर्म सम्मेलन के कार्यक्रम के दौरान भीषण आग लगी। अग्निकांड में 14 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई। वहीं इस हादसे में 40 किन्नर गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
8 दिसंबर 2019 को राजधानी दिल्ली के रानी झांसी रोड स्थित अनाज मंडी में भी अग्निकांड ने हर किसी को हिला कर रख दिया। यहां स्थित एक पेपर फैक्ट्री में अचानक आग लग गई। इस हादसे में 45 की लोगों की जलने और दम घुटने से मौत हो गई। वहीं इस अग्निकांड में 50 लोग घायल भी हुए थे।
मुंडका हादसे के बाद दिल्ली के सबसे व्यवस्ततम बाजारों में से एक करोल बाग का वो हादसा भी लोगों की जहन में एक बार फिर घूमने लगा। जब 12 फरवरी 2019 बाजार में स्थित एक चार मंजिला होटल में आग लगने से 17 की मौत हो गई थी। इस हादसे में 35 घायल हुए थे।
बाहरी दिल्ली के बवाना में 20 जनवरी 2018 का वो दिन भुलाए नहीं भूलता है। जब एक पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से 10 महिलाओं की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। महिलाओं की चीखों ने हर किसी को सन्न कर दिया था, लेकिन चाहते हुए भी इन्हें बचाया नहीं जा सका। इस हादसे में कुल 17 लोगों की जान चली गई थी, जबकि कई घायल हुए थे।
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