दिल्ली सरकार ने फिजिकल फाइल सिस्टम को खत्म करने और पेपरलेस वर्किंग को आगे बढ़ाने के लिए ई-ऑफिस सिस्टम अपनाने का फैसला किया है। दरअसल ई-ऑफिस सिस्टम 2015 में शुरू हुआ था, लेकिन अबतक कुछ जगह एक्टिव था जबकि कई जगहों पर नहीं था। अब ये पूर्ण रूप से लागू होगा।
अधिकारियों की मानें तो, सभी विभागों से परियोजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए कहा गया है। यही वजह है कि, सभी विभागों के कामकाज को पूरी तरह ऑनलाइन करने की शुरुआत की जा रही है।
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वैसे तो दिल्ली के सभी विभागों में अब ई-ऑफिस के तहत की कामकाज किया जाएगा, लेकिन फिजिकल फाइलिंग कुछ मामलों में जारी रहेगी। अधिकारियों के मुताबिक, अब सिर्फ अत्यधिक गोपनीय फाइलें ही भौतिक प्रारूप में एक अधिकारी या विभाग से दूसरे को भेजी जाएंगी।
अधिकारियों ने कहा कि बहुत कम विभागों और अधिकारियों ने वास्तव में इस प्रणाली को अपनाया है। साथ ही हाथ से लिखी टिप्पणियों और आदेशों के साथ फाइलों की भौतिक आवाजाही अभी भी जारी है।
बता दें कि जून महीने की शुरुआत से ही केजरीवाल सरकार लगातार ई ऑफिस के काम को अमल में लाने में जुटी है। हालांकि ये होना तो पहले ही था, लेकिन कोरोना के चलते इसमें देरी ही। वहीं जून महीने की शुरुआत में हुई एक बैठक में मुख्य सचिव नरेश कुमार ने ई-ऑफिस प्रणाली को पूरी तरह से अपनाने के लिए कहा था।
इसके तहत अधिकारियों को अपने डिजिटल हस्ताक्षर या उन्हें दिए गए उपयोगकर्ता नाम और पासवर्ड का उपयोग करके फाइलों में लॉग इन करना होता था, जो थोड़ी लंबी प्रक्रिया थी। इसे आसान बनाने के लिए सभी अधिकारियों के बायोमेट्रिक्स को अब रिकॉर्ड कर लिया गया है और वे उनका उपयोग करके सिस्टम में लॉग इन कर सकते हैं।
इस नई व्यवस्था के जरिए मौजूदा समय में सभी सरकारी फाइलों के आने-जाने को ऑनलाइन ट्रैक किया जा सकेगा। हर फाइल को एक विशिष्ट संख्या दी जाती है। ऐसे में हर अधिकारी के साथ-साथ कनिष्ठ कर्मचारी फाइल की स्थिति और उसके वर्तमान स्थान की ऑनलाइन जांच कर सकेंगे।
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