
Delhi High Court
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG Reports) की रिपोर्टों पर चर्चा के लिए दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का निर्देश देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस सचिन दत्ता की पीठ ने रिपोर्ट पेश करने में दिल्ली सरकार की ओर से अत्यधिक देरी का उल्लेख किया। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली विधानसभा के समक्ष CAG की रिपोर्ट पेश करना एक अनिवार्य संवैधानिक दायित्व है।
भाजपा विजेंद्र गुप्ता की ओर से दायर याचिका में कई भाजपा विधायकों ने कहा है कि दिल्ली सरकार की नीतिगत पहलों से जुड़ी 14 CAG रिपोर्टों को राज्य विधानसभा में पेश किया जाए। विधानसभा अध्यक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर नंदराजोग ने तर्क दिया कि अदालत को अध्यक्ष को निर्देश जारी नहीं करना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर नंदराजोग ने भाजपा विधायकों की याचिका पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें कहा गया कि यह मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का मामला नहीं है। जब ऐसे उल्लंघन होते हैं तो अदालतें आम तौर पर केवल असाधारण परिस्थितियों में ही हस्तक्षेप करती हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सीएजी रिपोर्ट पर विचार करने में देरी के लिए दिल्ली सरकार की आलोचना की थी, जिसमें कहा गया था, "जिस तरह से आपने अपने पैर पीछे खींचे हैं, उससे आपकी ईमानदारी पर संदेह होता है।" अदालत ने आगे जोर देकर कहा, "आपको तुरंत रिपोर्ट स्पीकर को भेजनी चाहिए थी और सदन में चर्चा शुरू करनी चाहिए थी।" न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने पहले भी सीएजी रिपोर्ट से निपटने के दिल्ली सरकार के तरीके पर सवाल उठाया। कोर्ट ने टिप्पणी की, "LG को रिपोर्ट भेजने में देरी और मामले को संभालने का आपका तरीका आपकी ईमानदारी पर संदेह पैदा करता है।"
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा विधायकों की याचिका पर दिल्ली सरकार, विधानसभा अध्यक्ष और अन्य प्रतिवादियों से जवाब मांगा था। याचिका में 14 सीएजी रिपोर्ट पेश करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई थी।
दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि सभी 14 रिपोर्ट स्पीकर को भेज दी गई हैं। भाजपा विधायकों के वकील विजेंद्र गुप्ता ने दलील दी कि सदन के सदस्य के तौर पर रिपोर्ट प्राप्त करना और उस पर बहस करना उनका अधिकार है। उन्होंने न्यायालय से स्पीकर को विशेष सत्र बुलाने का निर्देश देने का आग्रह किया। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि वह स्पीकर को तत्काल आदेश जारी नहीं कर सकता और कहा कि निर्णय लेने से पहले दोनों पक्षों को सुनना होगा।
दिल्ली सरकार ने याचिका का विरोध किया और इसे राजनीति से प्रेरित बताया तथा जवाबी हलफनामा दाखिल करने का इरादा जताया। गुप्ता के वकील ने कहा कि यह मुद्दा राजनीतिक नहीं है, बल्कि सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने के बारे में है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव की घोषणा से पहले इस मामले को सुलझा लिया जाना चाहिए।
Published on:
24 Jan 2025 04:54 pm
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