
ई-कॉमर्स साइट पर फ्लैश सेल चल रही है, आप उसके लिए उत्साहित हैं और जमकर खरीददारी करते हैं। खरीददारी आपको खुशी देती है, लेकिन अचानक एक दिन आपको महसूस होता है कि आपके साथ ऑनलाइन ठगी की गई है। गलत प्रोडक्ट दिया गया है, गलत ब्रांडिंग के भरोसे में आपने प्रोडक्ट खरीदने में जल्दबाजी कर दी। फ्लैश सेल के दबाव में आपने लोन पर प्रोडक्ट खरीद लिया, जबकि ऑफर आपको सामान्य दिनों वाला ही मिला। यह सब संकेत हैं कि आप 'डार्क पैटर्न' के शिकार हो रहे हैं, जबकि आप खुद को 'शॉपहॉलिक' यानी खरीददारी की आदत का शिकार ही समझ रहे हैं।
भारत सरकार ने बनाए 'डार्क पैटर्न' के खिलाफ नियम
दुनिया भर की वेबसाइट 'डार्क पैटर्न' का इस्तेमाल कर रही हैं, जिसमें आपके इंटरनेट व्यवहार को देखकर आपको सामान खरीदने के लिए जबरन प्रोत्साहित किया जाता है और आप वेवजह ठगी का शिकार हो जाते हैं। अमरीका की प्रिंसटिन यूनिवर्सिटी का दावा है कि दुनिया में 11 फीसदी वेबसाइट ऐसी हैं जिन पर गहरे 'डॉर्क पैटर्न' दिख रहे हैं जो आक्रामक, भ्रामक, धोखेबाज और गैरकानूनी भी हैं। हालांकि भारत में 'डार्क पैटर्न' को रोकने के लिए सरकार ने हाल में नीति बनाई है और इसे गैर कानूनी माना है।
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आखिर क्या है 'डॉर्क पैटर्न'
'डार्क पैटर्न' एक शब्द है जिसका उपयोग यूजर को धोखा देकर या हेरफेर करके उन कार्यों को करने के लिए तैयार करने में किया जाता है, जिसे वे नहीं करना चाहते। डार्क पैटर्न अक्सर यूजर के अनुभव, समझ की कीमत पर वेबसाइट के मालिक के हितों के लिए काम करते हैं। यह यूजर के व्यवहार को प्रभावित करने के लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का फायदा उठाते हैं। डार्क पैटर्न को अनैतिक माना जाता है क्योंकि वे उपयोगकर्ताओं के साथ हेरफेर करते हैं और धोखा देते हैं, विश्वास को खत्म करते हैं और समग्र उपयोगकर्ता अनुभव पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
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Published on:
17 Dec 2023 08:31 am
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