सच्ची स्वतंत्रता का मतलब मन और आत्मा की मुक्ति है
स्वतंत्रता को अक्सर एक राजनीतिक अवधारणा के रूप में समझा जाता है- एक राष्ट्र की अपनी शासन प्रणाली को बाहरी नियंत्रण के बिना संचालित करने की क्षमता। लेकिन सच्ची स्वतंत्रता का अर्थ इससे कहीं अधिक है। यह
मन और आत्मा की मुक्ति है जो हमें सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक बंधनों से मुक्त करती है।
राष्ट्रों के बीच की लड़ाई मानवता को पीछे धकेलने का संघर्ष
हमें हमेशा राष्ट्रों के बीच के संघर्ष को लेकर सिखाया गया है कि यह जरूरी है। इतिहास गवाह है कि पिछले 4500 वर्षों में 10,000 से अधिक युद्ध हुए हैं। यह युद्ध केवल राष्ट्रों के बीच की लड़ाई नहीं थे बल्कि मानवता को पीछे धकेलने वाले संघर्ष थे। हर राष्ट्र के अस्तित्व की नींव ही दूसरे राष्ट्र से संघर्ष में निहित मानी जाती है लेकिन हमें यह विचार करना चाहिए कि क्या वास्तव में राष्ट्रों का अस्तित्व संघर्ष पर निर्भर है?
पाकिस्तान की पहचान भारत के साथ उसकी दुश्मनी से है
पाकिस्तान का उदाहरण लें, जिसकी पहचान अक्सर भारत के साथ उसकी दुश्मनी से जुड़ी होती है। यह विचार कि पाकिस्तान की पहचान उसके भारत-विरोधी रुख में है, “द्वि-राष्ट्र सिद्धांत” से उत्पन्न हुआ था, जो यह कहता है कि हिंदू और मुस्लिम एक साथ नहीं रह सकते। इस आधार पर 1947 में भारत का विभाजन हुआ। यह धारणा अब भी जीवित है कि पाकिस्तान के अस्तित्व का आधार ही भारत के प्रति उसकी शत्रुता है। लेकिन यह केवल पाकिस्तान तक सीमित नहीं है। हर राष्ट्र अपने अस्तित्व के लिए किसी दुश्मन की आवश्यकता महसूस करता है। अगर कोई दुश्मन न हो तो सैन्य बल और सीमाओं का औचित्य क्या होगा? राष्ट्र की अवधारणा ही संदेहास्पद हो जाती है। यह एक कड़वी सच्चाई है कि हमारे राजनीतिक अस्तित्व की नींव उतनी मजबूत और उच्च नैतिक नहीं हो सकती जितना हम सोचते हैं।
सीमाओं की रक्षा हमें पशुता से जोड़ता है
यह विचार कि सीमाओं की रक्षा करना एक आदिम प्रवृत्ति है, हमें हमारी पशुता से जोड़ता है। पशु भी अपनी सीमाओं को चिह्नित करते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। क्या यह संभव है कि राष्ट्रवाद का यह अतिरेक, जो हमें अन्य राष्ट्रों से अलग करता है, हमारी पुरानी आदिम प्रवृत्तियों का हिस्सा है? यदि हां, तो सच्ची प्रगति का मार्ग इस पशुता से ऊपर उठने में है, विभाजन की बजाय एकता की तलाश में है।
राजनीतिक स्वतंत्रता तो बस पहला कदम भर है
स्वतंत्रता दिवस केवल एक राजनीतिक घटना नहीं है। यह हमारे लिए एक मौका है कि हम अपने भीतर झांकें और अपने स्वतंत्रता के वास्तविक अर्थ को समझें। राजनीतिक स्वतंत्रता एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है लेकिन यह केवल पहला कदम है। सच्ची स्वतंत्रता का अर्थ है कि हम अपने मन और विचारों को सामाजिक, धार्मिक और राष्ट्रीय सीमाओं से मुक्त कर सकें।
हमारे आंतरिक स्थिति से आती है स्वतंत्रता
स्वतंत्रता किसी भी बाहरी तत्व से नहीं आती है। यह हमारे आंतरिक स्थिति से आती है। यह किसी तथ्य के उजागर होने का परिणाम नहीं है। यदि हमें संसार के सभी तथ्य बताए जाएं, तो भी हमारी समझ तभी विकसित होगी जब हम अपने अंदरूनी सच को जानेंगे।
सच्ची स्वतंत्रता के लिए अपने भीतर जागरूकता लाएं
ध्यान का अर्थ है इस क्षण में जीना और सच्ची स्वतंत्रता की ओर पहला कदम यही है कि हम अपने भीतर जागरूकता लाएं। बाहरी दुनिया में बदलाव करने की बजाय, खुद को बदलने का प्रयास करें।
स्वतंत्रता सिर्फ राजनीतिक स्थिति नहीं है
यह स्वतंत्रता दिवस हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता केवल राजनीतिक स्थिति नहीं है, यह हमारे मन की स्थिति है। इस 15 अगस्त, हमें न केवल अपने देश की स्वतंत्रता का जश्न मनाना चाहिए, बल्कि अपने भीतर सच्ची स्वतंत्रता को भी प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। (यह लेख आचार्य प्रशांत ने लिखा है। लेखक वेदांत मर्मज्ञ और प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)