
कर्नाटक चुनाव : निर्दलीय उम्मीदवारों पर डोरे डालने में अभी से जुटे भाजपा-कांग्रेस
कर्नाटक विधानसभा चुनाव रिजल्ट बेहद रोचक आने वाला है। किसी भी पार्टी के स्पष्ट बहुमत ने मिलने की स्थिति से निपटने के लिए भाजपा-कांग्रेस दोनों पार्टियों ने अपने कील कांटे मजबूत कर दिए हैं। बहुमत के नम्बर को जुटाने के लिए भाजपा-कांग्रेस दोनों पार्टियां मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों को साधने में जुट गईं है। हर कीमत पर उनका समर्थन लेने के लिए उन पर डोरे डाल रहीं हैं। JDS ने साफ कह दिया है कि, अब वह किंग मेकर नहीं किंग बनेंगे। और इस शर्त को जो कबूल करेगा, हम उसके साथ रहेंगे। कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों के लिए 10 मई को डाले गए वोटों की गिनती शनिवार 13 मई को होनी है। एग्जिट पोल में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। ऐसे में दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस ऐसे निर्दलीय उम्मीदवारों को अपने-अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुट गई हैं जिनके जीतने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि, कांग्रेस पहले ही धारवाड़ जिले के कुंदगोल निर्वाचन क्षेत्र के एस.आई. चिक्कनगौदर से संपर्क कर चुकी है। यहां सीधा मुकाबला चिक्कनगौदर और भाजपा उम्मीदवार एम.आर. पाटिल के बीच है।
जगदीश शेट्टर के समर्थक हैं चिक्कनगौदर
एस.आई. चिक्कनगौदर की संभावित जीत की खबरों को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से हाथ मिलाने के लिए पहले ही आमंत्रित कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि चिक्कनगौदर पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर के अनुयायी हैं, जिनके जरिए पार्टी उनसे संपर्क कर रही है।
भाजपा ने नकारा तो निर्दलीय चुनाव लड़े चिक्कनगौदर
भाजपा के टिकट नहीं देने के बाद चिक्कनगौदर निर्दलीय चुनाव लड़े थे। राष्ट्रीय दलों ने भी एम.पी. लता मल्लिकार्जुन से भी संपर्क किया है। मल्लिकार्जुन बेल्लारी जिले की हरपनहल्ली सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं। लता कांग्रेस के दिवंगत वरिष्ठ नेता एम.पी. प्रकाश की बेटी हैं। कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। सूत्र बताते हैं कि, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने निजी तौर पर फोन कर उनसे बात की है। मनमुटाव दूर करने के लिए कांग्रेस के नेता भी उनसे पहले ही संपर्क कर चुके हैं।
वर्ष 1999 में 19 निर्दलीय चुने गए थे विधायक
विधानसभा चुनाव 2018 में एकमात्र निर्दलीय उम्मीदवार जीता था जबकि 2013 के चुनावों में नौ निर्दलीय उम्मीदवार चुने गए थे और उन्हें 7.4 प्रतिशत वोट मिले थे। इससे पहले 2008 में छह जबकि 2004 में 17 निर्दलीय जीते थे। सन 1999 के चुनावों में 19 निर्दलीय उम्मीदवार राज्य विधानसभा के लिए चुने गए थे।
इस बार कई निर्दलीयों के जीतने की उम्मीद
इस बार बगावत और टिकट न मिलने के कारण कई संभावित उम्मीदवारों ने निर्दलीय चुनाव लड़ा है और उनके जीतने की अच्छी संभावना है।
Updated on:
12 May 2023 03:24 pm
Published on:
12 May 2023 03:23 pm
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