6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी: 6 माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण, 62 लाख का था इनाम

Maoists Surrender: गढ़चिरौली में सुरक्षा बलों को एक बड़ी सफलता मिली है। डीजीपी रश्मि शुक्ला के समक्ष 6 कुख्यात माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। इन सभी पर 62 लाख का इनाम रखा गया था।

2 min read
Google source verification
Maharashtra 6 Maoists surrender in Gadchiroli

गढ़चिरौली में 6 माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण (Photo-IANS)

Maoists Surrender: महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित जिले गढ़चिरौली में सुरक्षा बलों को एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। यहां छह कुख्यात माओवादियों ने राज्य की पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रश्मि शुक्ला की मौजूदगी में आत्मसमर्पण कर दिया। ये सभी लंबे समय से जंगलों में सक्रिय थे और कई हिंसक घटनाओं में शामिल रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार ने इन पर कुल 62 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था, जो अब राज्य कोष में वापस आ जाएगा।

2025 में अब तक 40 माओवादियों ने डाले हथियार

यह आत्मसमर्पण गढ़चिरौली पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की संयुक्त रणनीति का परिणाम है। 2025 में अब तक इस जिले में कुल 40 माओवादियों ने हथियार डाल दिए हैं, जो नक्सलवाद के खिलाफ अभियान की निरंतर सफलता का संकेत है। आत्मसमर्पण समारोह गढ़चिरौली के पुलिस मुख्यालय में आयोजित किया गया, जहां डीजीपी रश्मि शुक्ला ने स्वयं उपस्थित होकर इस प्रक्रिया की देखरेख की।

आत्मसमर्पण करने वालों की पहचान: डीवीसीएम से कमांडर तक

आत्मसमर्पण करने वालों में प्रमुख नाम डिविजनल कमिटी कमिटी मेंबर (डीवीसीएम) भीमन्ना उर्फ वेंकटेश उर्फ सुखलाल मुट्या कुलमेथे और उनकी पत्नी डीवीसीएम विमलक्का सादमेक का है। भीमन्ना पर अकेले 35 लाख रुपये का इनाम था, जबकि विमलक्का पर 10 लाख का। इनके अलावा एक कमांडर, दो प्रोटेक्शन पार्टी कमिटी मेंबर्स (पीपीसीएम) और एक एरिया कमिटी मेंबर (एसीएम) भी शामिल हैं। ये सभी गढ़चिरौली के घने जंगलों में सक्रिय थे और आईईडी हमलों, पुलिस पराक्रमों तथा ग्रामीणों पर दबाव बनाने जैसी घटनाओं में लिप्त रहे।

15 वर्षों से माओवादी संगठन के कोर ग्रुप का थे हिस्सा

पुलिस के अनुसार, भीमन्ना और विमलक्का दंपति पिछले 15 वर्षों से माओवादी संगठन के कोर ग्रुप का हिस्सा थे। उन्होंने कई बार सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में भाग लिया और नक्सली प्रचार अभियानों का नेतृत्व किया। पीपीसीएम सदस्यों का काम माओवादी नेताओं की सुरक्षा करना था, जबकि एसीएम क्षेत्रीय समन्वय का जिम्मा संभालते थे। इनके आत्मसमर्पण से संगठन की कमजोर कड़ी और मजबूत हुई है।

डीजीपी रश्मि शुक्ला का संदेश

आत्मसमर्पण समारोह के दौरान डीजीपी रश्मि शुक्ला ने माओवादियों को संबोधित करते हुए कहा, आपने सही फैसला लिया है। अब आपको समाज की मुख्यधारा में आकर सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलेगा। सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत आपको पुनर्वास, प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने जोर दिया कि नक्सलवाद केवल हिंसा का रास्ता है, जो न तो समस्याओं का समाधान देता है और न ही विकास की राह। शुक्ला ने सुरक्षा बलों की मेहनत की सराहना की और कहा कि यह अभियान जारी रहेगा।

मुख्यधारा में लौटें, नया जीवन शुरू करें

महाराष्ट्र सरकार की 'मुक्ती' आत्मसमर्पण योजना के तहत इन माओवादियों को आर्थिक सहायता, कौशल विकास प्रशिक्षण और सुरक्षा प्रदान की जाएगी। योजना के अनुसार, हथियार डालने वाले को 2.5 लाख रुपये की एकमुश्त राशि, मासिक भत्ता और तीन वर्षों तक निगरानी में रखा जाता है।