
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल
भारत ने पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के झूठे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया कि वह पहले अपने देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर नजर डाले। जायसवाल ने कहा, 'हम उस देश की टिप्पणियों को पूरी तरह खारिज करते हैं जिसका इस मामले में खुद का रिकॉर्ड बेहद खराब है। पाकिस्तान का विभिन्न धर्मों के अल्पसंख्यकों का भयानक और सुनियोजित उत्पीड़न एक स्थापित तथ्य है। कितनी भी उंगली उठा लें, यह हकीकत नहीं मिटेगी।'
यह जवाब पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी के बयान पर आया है। पाकिस्तान ने दावा किया था कि भारत में क्रिसमस से पहले तोड़फोड़ और हिंसा की घटनाएं हुईं, जिससे धार्मिक अल्पसंख्यकों में डर और असुरक्षा बढ़ रही है। अंद्राबी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इन घटनाओं पर ध्यान देने की अपील की। उन्होंने भारत में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और घरों की तोड़फोड़ का भी जिक्र किया।
लेकिन भारत ने इसे पाकिस्तान की ध्यान भटकाने की कोशिश करार दिया। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कहा कि पाकिस्तान का अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार दशकों से हिंसा, भेदभाव और सामाजिक बहिष्कार से भरा रहा है। अहमदी समुदाय को राज्य नीतियों और समाज दोनों से उत्पीड़न झेलना पड़ता है, जबकि ईसाई समुदाय पर बार-बार सांप्रदायिक हमले होते हैं।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर साल करीब 1,000 हिंदू और ईसाई लड़कियों का अपहरण होता है, उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है और शादी कर दी जाती है। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने भी इस पर गहरी चिंता जताई है। वे कहते हैं कि ईसाई और हिंदू लड़कियां विशेष रूप से जबरन धर्म परिवर्तन, अपहरण, तस्करी और बाल विवाह का शिकार बनती हैं।
मंदिरों पर हमले और संपत्ति कब्जा
पाकिस्तान में ब्लास्फेमी कानूनों का दुरुपयोग अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए होता है। 2024 में दर्जनों मामले सामने आए, जहां अल्पसंख्यकों को झूठे आरोपों में फंसाया गया। हिंदू समुदाय सिंध प्रांत में सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां मंदिरों पर हमले और संपत्ति कब्जाने की घटनाएं आम हैं।
अल्पसंख्यकों पर हमें ज्ञान न दें पाक
भारत ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान जैसे देश को दूसरों को ज्ञान देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। पाकिस्तान का अल्पसंख्यकों का व्यवस्थित उत्पीड़न वैश्विक स्तर पर मान्य तथ्य है। कोई भी आरोप लगाकर इसे छिपाया नहीं जा सकता।
पाक की टिप्पणी को बताया पाखंड
यह विवाद तब शुरू हुआ जब क्रिसमस से पहले भारत के कुछ राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, असम और केरल में तोड़फोड़ की घटनाएं रिपोर्ट हुईं। दक्षिणपंथी समूहों पर आरोप लगे कि उन्होंने क्रिसमस सजावट को नुकसान पहुंचाया। पाकिस्तान ने इन्हें अल्पसंख्यक उत्पीड़न का उदाहरण बताया। लेकिन भारत ने इसे आंतरिक मामला करार देते हुए पाकिस्तान की टिप्पणी को पाखंड बताया।
Published on:
29 Dec 2025 09:48 pm
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