
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम बदलने जा रही है। शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस फैसले को मंजूरी मिली है। सरकार मनरेगा का नाम बदलकर 'पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी' रखने जा रही है। इस योजना के तहत ग्रामीण गरीबों को एक साल में 125 दिनों तक काम मिलेगा। केंद्र इसके लिए लगभग 1.51 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान भी करने जा रही है। देश में इस योजना को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है।
मनरेगा योजना साल 2005 में कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार ने शुरू की थी। शुरुआत में इसे National Rural Employment Guarantee Act (NREGA) कहा जाता था। बाद में इसका नाम बदलकर Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA) कर दिया गया। इस योजना का उद्देश्य है काम करने के अधिकार की गारंटी देना। साल 2005 से अब तक इस योजना से जुड़े हुए लोगों की संख्या करोड़ों में है और अनेक लोग लगातार इससे लाभान्वित हुए हैं।
मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीण अकुशल श्रमिकों को गारंटीड रोज़गार देना है - पारंपरिक रूप से 100 दिनों तक प्रति वर्ष रोजगार सुनिश्चित करने का प्रावधान है। यह ग्रामीण गरीबों की आजीविका को मज़बूत करने में सहायक है। वर्तमान में श्रमिकों को प्रतिदिन 370 रुपये दिए जाते हैं; इससे पहले यह दर 349 रुपये थी।
महामारी के समय यह योजना विशेष रूप से उपयोगी साबित हुई। कोविड के दौरान काम की मांग में अचानक इज़ाफ़ा हुआ और बड़ी संख्या में लौटे प्रवासी मजदूरों को इस योजना के माध्यम से रोजगार मिला।
मनरेगा का उद्देश्य केवल रोजगार प्रदान करना ही नहीं है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, तालाब निर्माण और वृक्षारोपण जैसी अवसंरचनात्मक परियोजनाएं कराकर स्थानीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना भी है। मोदी सरकार ने 2025–26 के लिए मनरेगा के लिए 86,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जो पिछले वर्ष के बजट से लगभग 10% अधिक है।
Published on:
12 Dec 2025 05:43 pm
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