
One Nation One Election: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक (One Nation One Election) को मंजूरी दे दी। सूत्रों के अनुसार इस विधेयक को सरकार इसी शीतकालीन सत्र में पेश कर सकती है। सरकार इस विधेयक को विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भी भेज सकती है। बीजेपी के 2024 के घोषणापत्र में वन नेशन वन इलेक्शन का भी मुद्दा शामिल था। लेकिन कई राजनीतिक पार्टियां वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध कर रही है। उनका आरोप है कि इससे लोकतांत्रिक जवाबदेही को नुकसान पहुंचेगा। बता दें कि फिलहाल हर साल देश के किसी ना किसा राज्य में चुनाव होते रहते हैं।
भारत में 1951 से 1967 तक हर पांच साल में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ हुए हैं। देश के मतदाताओं ने 1952, 1957, 1962 और 1967 में एक साथ केंद्र और राज्य दोनों के लिए वोट डाले। हालांकि 1968 और 1969 में कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण यह चक्र बाधित हो गया। 1970 में लोकसभा को समय से पहले ही भंग कर दिया गया और 1971 में नए चुनाव कराए गए। बता दें कि 1983 में चुनाव आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में एक साथ चुनाव पुनः शुरू करने का सुझाव दिया था। 1999 में विधि आयोग की रिपोर्ट में भी इस अभ्यास का उल्लेख किया गया था।
बता दें कि एक देश एक चुनाव का क्रम तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने तोड़ा था। इंदिरा गांधी ने 1970 में लोकसभा भंग करवा दी और तय समय से पहले 15 महीने पहले ही 1971 में आम चुनाव करवा दिए थे। दरअसल, इंदिराय अल्पमत में सरकार चला रही थीं और पूर्ण सत्ता चाहती थीं। उनके इस फैसले ने राज्य विधानसभा चुनावों को आम चुनाव से अलग कर दिया।
दुनिया के कई ऐसे देश हैं जहां पर वन नेशन-वन इलेक्शन की व्यवस्था लागू है। जर्मनी, हंगरी, पोलैंड, स्पेन, दक्षिण अफ्रिका, जापान, इंडोनेशिया, स्लोवेनिया, अल्बानिया और स्वीडन में एक देश एक चुनाव की व्यवस्था है।
Updated on:
17 Dec 2024 01:52 pm
Published on:
12 Dec 2024 05:59 pm
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