
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (प्रतीकात्मक तस्वीर)
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक आरोपी की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। इस व्यक्ति ने 2018 में एक पांच साल की मासूम का रेप कर उसकी हत्या कर दी थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे अब उम्रकैद में बदल दिया गया है। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी की मां को भी बरी कर दिया है, जिसने इस घटना के समय अपने बेटे को बचाने की साजिश रची थी। आरोपी की मां ने उसे बचाने के लिए सबूत छिपाए थे।
यह फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने एक समाज की एक महत्वपूर्ण समस्या की ओर इशारा भी किया। कोर्ट ने कहा मांओं का अपने लाड़ले बेटों के प्रति अंधा प्यार होता है। भले ही बेटा कितना भी गलत काम क्यों न करे या वह समाज के लिए कितना भी गलत क्यों न हो, मां के लिए वो हमेशा राजा बेटा ही रहता है। कमला के बेटे ने जब बच्ची के साथ रेप किया था तो गांव वाले बच्ची को ढूंढते हुए उनके घर पहुंचे थे। बच्ची आखिरी बार कमला के बेटे के साथ देखी गई थी इसलिए उसकी तलाश में लोग कमला के घर आए थे लेकिन कमला ने लोगों को अपने घर के अंदर नहीं आने दिया था और घर की तलाशी नहीं लेने दी थी। कोर्ट ने कमला को बरी करते हुए भारत के कुछ हिस्सों में बेटों के प्रति मां-बाप के अंधे लगाव पर तीखी टिप्पणी की।
जस्टिस अनूप चितकारा और जस्टिस सुखविंदर कौर की बेंच ने यह 62 पन्नों का फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा, कमला देवी को जब पता चला कि उनके राजा बेटा, भोलू उतना सीधा नहीं है जितना वह अपने नाम से लगता है। उसने एक पांच साल की बच्ची का बेरहमी से रेप करके उसकी हत्या की है तो उन्होंने पुलिस को सूचना देने और बच्ची को इंसाफ दिलाने की बजाय अपने बेटे को बचाना ज्यादा जरूरी समझा।
कोर्ट ने आगे कहा कि समाज का यह नज़रिया बहुत डरावना और शर्मनाक है लेकिन यह कोई नई बात नहीं है। यह सदियों से चला आ रहा है। यह सोच हमारे समाज की 'पितृसत्तात्मक मानसिकता' में गहराई से धंसी हुई है और इसी के चलते कमला ने अपने राजा बेटा को बचाने की कोशिश की थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि एक सभ्य समाज में इस तरह की बर्बर घटना के बारे में जानने पर कमला को गहरा सदमा लगना चाहिए था लेकिन असल में ऐसा नहीं हुआ। कोर्ट ने यह भी कहा कि कमला अपने बेटे को बचाने की कोशिश कर रही थी और इसके लिए उसे भारतीय दंड संहिता के तहत सजा नहीं दी जा सकती है।
कोर्ट ने कहा भले ही कमला का व्यवहार कितना भी निंदनीय क्यों न हो उसके खिलाफ आपराधिक साजिश रचने या सबूत मिटाने का मामला बनाने के लिए कानूनन कोई पुख्ता सबूत मौजूद नहीं है। बता दें कि पहले निचली अदालत ने कमला को भारतीय दंड संहिता की धारा 201 और 120-B के तहत दोषी करार दिया था। यह धाराएं सबूत मिटाना या अपराधी को बचाने के लिए झूठी जानकारी देने और किसी अपराध को करने की आपराधिक साजिश रचने से जुड़ी हैं। लेकिन अब पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कमला को बरी कर दिया है।
Published on:
27 Dec 2025 04:16 pm
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