Bihar Election: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने चुनाव आयोग के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। राजद की ओर से सांसद मनोज झा ने चुनाव आयोग के कदम को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। सांसद मनोज झा ने ईसी के निर्णय को कोर्ट में खारिज करने की मांग की है, जिसमें आयोग ने बिहार में SIR प्रक्रिया तुरंत लागू करने के निर्देश दिए है।
राजद का कहना है कि विधानसभा चुनाव के ठीक कुछ महीने पहले इस तरह की प्रक्रिया चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में जल्द ही सुनवाई हो सकती है। हालांकि अब देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग के इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट क्या सोचती है।
बता दें कि इंडिया ब्लॉक ने इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई है। विपक्ष का कहना है कि SIR के तहत मतदाताओं को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए 11 दस्तावेजों में से एक प्रस्तुत करना होगा, जो 2003 की मतदाता सूची में शामिल नहीं होने वालों के लिए अनिवार्य है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि यह प्रक्रिया जानबूझकर ऐसी बनाई गई है कि गरीब और हाशिए पर मौजूद समुदायों के लिए मतदाता सूची में नाम दर्ज करना मुश्किल हो जाए। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया है कि इस प्रक्रिया से कम से कम दो करोड़ मतदाता प्रभावित हो सकते हैं, जो बिहार की कुल मतदाता संख्या का एक बड़ा हिस्सा है।
चुनाव आयोग ने अपने बचाव में कहा है कि SIR का उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध और पारदर्शी बनाना है। आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह नियमित अभ्यास का हिस्सा है। हालांकि, विपक्ष का तर्क है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस तरह का अभियान संदेह पैदा करता है।
बता दें कि दो सप्ताह पहले, 24 जून को निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची से अपात्र मतदाताओं को हटाने के लिए बिहार में एसआईआर करने के निर्देश जारी किए थे।इस अभियान का लक्ष्य 25 जुलाई तक आठ करोड़ मतदाताओं तक पहुंचना है। हालांकि, यह राज्य में विपक्षी दलों और चुनाव आयोग के बीच टकराव का बड़ा मुद्दा बन गया है।
Published on:
06 Jul 2025 10:47 pm