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रूस और यूक्रेन विवाद: भारत पर पड़ सकता है इसका सीधा असर, तेल की कीमतों के साथ महंगाई बढ़ने की आशंका

locationनई दिल्लीPublished: Feb 17, 2022 07:42:04 am

Submitted by:

Arsh Verma

Russia Ukraine Crisis: दुनिया में रूस और यूक्रेन को लेकर स्थिति गंभीर बनी हुई है। जानकारों का मानना है कि रूस और यूक्रेन के बीच इस तनाव का असर विश्व स्तर पर भी देखा जा रहा है, जिससे भारत भी अछूता नहीं है।

Russia Ukraine Crisis Know what is the impact on India and How India get Affected

रूस और यूक्रेन विवाद: भारत पर पड़ सकता है इसका सीधा असर, तेल की कीमतों के साथ महंगाई की आशंका

Russia Ukraine Crisis: दुनिया में रूस और यूक्रेन को लेकर स्थिति गंभीर बनी हुई है। हालांकि रूस का कहना है कि अब वह यूक्रेन की सीमा से अपना सैनिक बल कम कर रहा है लेकिन जाहिर है कि यूक्रेन पर लगातार युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। भारत सरकार ने भी अपने नागरिकों को यूक्रेन से वापिस आने की सलाह दी है। जंग के खतरे को देखते हुए अमेरिका की अगुवाई वाले सैन्य संगठन नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नाटो) ने भी पूर्वी यूरोप में गतिविधियां तेज कर दी है। जानकारों का मानना है कि रूस और यूक्रेन के बीच इस तनाव का असर विश्व स्तर पर भी देखा जा रहा है, जिससे भारत भी अछूता नहीं है। दिल्ली की सबसे बड़ी चिंताएं यहीं हैं कि यदि अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी रूस के खिलाफ हो जाते हैं और रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ जाता है तो पूरी दुनिया समेत भारत के लिए भी आर्थिक और सुरक्षा परेशानियां बढ़ेगी। भारत के उपभोक्ताओं पर इसका गहरा असर पड़ने की संभावना है।

वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का सीधा असर भारतीय उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है। यूरोप लगभग एक तिहाई गैस के लिए रूस पर निर्भर रहता है। यूरोप को चिंता है कि अगर रूस गैस और तेल की आपूर्ति बंद कर देगा, तो इससे ऊर्जा की कीमतें बढ़ेंगी।

माना जा रहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच यदि जंग की नौबत आई तो पश्चिम देश रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा सकते हैं और रूस यूरोप में गैस की आपूर्ति में कटौती कर सकता है, जिसका सीधा असर तेल की कीमतों पर पडे़गा।

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कुछ विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि जंग के हालात में रूस चीन के साथ तेल और गैस बेचने की बात कर सकता है, जिससे वैश्विक बाजार प्रभावित होगा और भारत में भी तेल की कीमतों पर इसका असर देखा जा सकता है। कहा जा रहा है कि अपने आर्थिक हितों को देखते हुए रूस चीन के साथ अपनी नजदीकी बढ़ा सकता है और भारत के साथ संबंधों की परवाह नहीं भी कर सकता है।
 


पहले से ही तनाव के कारण पिछले एक महीने में तेल की कीमतें 14 फीसदी तक बढ़ गई हैं। 14 फरवरी तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 94 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई। रूस-यूक्रेन संकट के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत पिछले सात सालों में पहली बार 90 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंची है।

विश्लेषकों का कहना है कि यदि इस विवाद का कोई समाधान नहीं निकलता है तो कच्चे तेल की कीमत 125 डॉलर प्रति बैरल तक भी पहुंच सकती है। रूस के बजट में करीब 40 फीसदी रेवेन्यू अकेले तेल से आता है। आईआईएफएल सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष, शोध अनुज गुप्ता के एक बयान के मुताबिक हम बहुत जल्द कीमतें 100
डालर प्रति बैरल तक जाने की उम्मीद कर रहे हैं।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (कमोडिटीज) तपन पटेल ने अपने एक बयान में कहा ‘रूस के यूक्रेन पर आक्रमण की आशंकाओं के कारण कच्चे तेल की तेज खरीदारी देखी गई। इस तरह का हमला अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंधों को बढ़ा सकता है, जिससे रूसी निर्यात बाधित हो सकता है।’

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