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सुप्रीम कोर्ट का लक्षद्वीप प्रशासन को निर्देश – ‘मिड डे मील में बच्चों को देते रहिए मीट-चिकन’

locationनई दिल्लीPublished: May 03, 2022 01:02:52 pm

Submitted by:

Archana Keshri

मुस्लिम बहुल केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के स्कूली बच्चों को मिड डे मील में मीट-चिकन मिलता रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने लक्षद्वीप प्रशासन से इस संबंध में केरल हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को जारी रखने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट का लक्षद्वीप प्रशासन को निर्देश - 'मिड डे मील में बच्चों को देते रहिए मीट-चिकन'

सुप्रीम कोर्ट का लक्षद्वीप प्रशासन को निर्देश – ‘मिड डे मील में बच्चों को देते रहिए मीट-चिकन’

स्कूली बच्चों के लिए मिड डे मील के मेन्यू से डेयरी फार्म बंद करने और चिकन सहित मांस उत्पादों को हटाने के लक्षद्वीप प्रशासन के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को जारी रखने का निर्देश दिया, जिसमें लक्षद्वीप प्रशासन को स्कूली बच्चों को परोसे जाने वाले मिड डे मील में चिकन सहित मांस उत्पादों को शामिल करने के लिए कहा गया था।
स्कूली बच्चों के लिए मिड डे मील के मेन्यू से चिकन सहित मांस उत्पादों को हटाने और डेयरी फार्म बंद करने संबंधी लक्षद्वीप प्रशासन के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और अन्य से जवाब भी मांगा है। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और एएस बोपन्ना की पीठ ने केरल हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर भारत सरकार, केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप और अन्य को नोटिस जारी किया, जिसमें लक्षद्वीप प्रशासन के फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया था।
बता दें, केरल उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सितंबर 2021 में कवरत्ती के मूल निवासी अजमल अहमद द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। अहमद की याचिका में पशुपालन निदेशक के 21 मई 2021 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि सभी डेयरी फार्मों को तत्काल बंद किया जाए। याचिकाकर्ता अहमद ने कहा कि यह प्रस्तावित ‘पशु संरक्षण (विनियम), 2021’ को लागू करने के इरादे से किया गया था, जो गायों, बछड़ों और बैल के वध पर प्रतिबंध लगाता है।
हाई कोर्ट ने 22 जून 2021 को लक्षद्वीप प्रशासन के डेयरी बंद करने और स्कूली बच्चों के मिड डे मील से चिकन, अंडे सहित अन्य माँस उत्पादों को हटाने के फैसले को अमल में लाने पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने इस मामले पर कहा था, “कोई भी राज्य या फिर केंद्र शासित प्रदेश या भारत सरकार से संबंधित सरकारों द्वारा परिकल्पित कार्यक्रम में उन्हें किसी विशेष प्रकार का भोजन उपलब्ध कराने के लिए जोर नहीं दे सकता है।”

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याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया था कि प्रफुल्ल खोड़ा पटेल द्वारा द्वीप प्रशासक के रूप में कार्यभार संभाले जाने के बाद उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता पशुपालन विभाग द्वारा चलाए जा रहे डेयरी फार्म को बंद करना और प्राचीन काल से चली आ रही द्वीपवासियों की भोजन की आदतों पर ‘हमला’ करना है।
अहमद ने कहा यह द्वीप के लोगों के भोजन की आदतों को चुनने के अधिकार में हस्तक्षेप करने के अलावा और कुछ नहीं है। ये संविधान के तहत निहित अधिकार के खिलाफ है। आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट में अब गर्मियों की छुट्टियों के बाद इस मामले की सुनवाई होगी।

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