
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना। (फोटो: ANI)
कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को दी गई मौत की सजा पर चिंता व्यक्त की है। सिंघवी ने कहा है कि यह सजा एक बड़े खतरे का संकेत है।
सिंघवी ने अपने एक्स पोस्ट में कहा- शेख हसीना को मौत की सजा सुनाना पूरी तरह से खतरे की घंटी है। भारत को किसी भी कीमत पर उनकी सुरक्षा करनी चाहिए। हसीना का हाल भी नजीबुल्लाह जैसा हो सकता है।
बता दें कि मोहम्मद नजीबुल्लाह अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति थे, जिन्होंने 1987 से 1992 तक पद संभाला था। उनका कार्यकाल सोवियत संघ के समर्थन से चिह्नित था और उन्होंने अफगानिस्तान में कम्युनिस्ट सरकार का नेतृत्व किया था।
1992 में, सोवियत संघ के पतन के बाद, नजीबुल्लाह की सरकार को मुजाहिदीन संगठनों ने उखाड़ फेंका और उन्हें संयुक्त राष्ट्र के दफ्तर में शरण लेनी पड़ी।
27 सितंबर 1996 को, तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया और नजीबुल्लाह को संयुक्त राष्ट्र के दफ्तर से निकालकर उनकी हत्या कर दी। उनकी लाश को काबुल के एक चौराहे पर लंप पोस्ट से लटका दिया गया, जो तालिबान की बर्बरता का प्रतीक बन गया।
सिघंवी ने कहा- भारत और दक्षिण एशिया नजीबुल्लाह जैसी दुखद पुनरावृत्ति अब बर्दाश्त नहीं कर सकते। हसीना सुरक्षा, स्थिरता और सहयोग में दृढ़ सहयोगी रही हैं। हमें उनसे मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।
78 वर्षीय हसीना पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया गया। जुलाई 2024 में सत्ता से बेदखल होने के बाद से वे भारत में निर्वासित हैं और उन्हें मानवता के विरुद्ध अपराध करने के लिए मृत्युदंड दिया गया है।
इस बीच, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को भारत से हसीना और देश के पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को तुरंत प्रत्यर्पित करने की अपील की है। बांग्लादेश ने दावा किया कि प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत ऐसा करने के लिए बाध्य है।
बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया- अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के फैसले में, फरार आरोपी शेख हसीना और असदुज्जमां खान कमाल को जल्लाही हत्याकांड का दोषी ठहराया गया है और सजा सुनाई गई है।
आगे कहा गया- अगर कोई भी देश मानवता के विरुद्ध अपराधों के दोषी इन व्यक्तियों को शरण देता है, तो यह अत्यंत असहिष्णु कृत्य और न्याय की अवहेलना होगी।
हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वह इन दोनों दोषियों को तुरंत बांग्लादेशी अधिकारियों को सौंप दे। दोनों देशों के बीच मौजूदा प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, यह भारत का भी एक अनिवार्य कर्तव्य है।
Updated on:
18 Nov 2025 01:30 pm
Published on:
18 Nov 2025 01:29 pm
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