5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

समलैंगिक विवाह : सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ आज करेगी सुनवाई

Same-sex marriage सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ आज मंगलवार को सेम सेक्स मैरिज पर सुनवाई करेगा। समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक नई दिशा तय करेगा। केंद्र सरकार समलैंगिक विवाह के विरोध में है।

2 min read
Google source verification
supreme_court.jpg

समलैंगिक विवाह : सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ आज करेगी सुनवाई

Same Sex Marriage समलैंगिक विवाह सही है या गलत। इसको मंजूरी देने या न देने के लिए सुप्रीम कोर्ट आज मंगलवार 18 अप्रैल को सुनवाई करेगा। इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच सुनेगी। केंद्र सरकार ने सोमवार को इसके विरोध में एक हलफनामा दायर किया है। और देश की सबसे बड़ी अदालत से गुहार की है कि, कोर्ट इस याचिका को सिरे से खारिज कर दे। सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों की पीठ ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाने की अनुमति प्रदान की थी। कोर्ट ने कहाकि, आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा। इसके बाद समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की सुगबुगाहट शुरू हो गई। और समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई। 13 मार्च को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले को पांच जजों की संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर कर दिया था।

पांच जजों की संविधान पीठ करेगी सुनवाई

पुरुष से पुरुष और स्त्री से स्त्री की शादी को कानूनी मान्यता दी जाए या नहीं? इस पर आज सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में पांच जजों की एक संविधान पीठ सुनवाई करने जा रही है। इस पीठ में सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डॉ धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ के साथ अन्य चार जजों में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली हैं।

यह भी पढ़ें - सहारा के निवेशकों को मिलेगा उनका फंसा धन, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अमित शाह ने दी जानकारी

मुद्दा ‘बुनियादी महत्व’ का

सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को 13 मार्च को पांच न्यायाधीशों की इस संविधान पीठ के पास भेज दिया था और कहा था कि यह मुद्दा ‘बुनियादी महत्व’ का है। इस मामले की सुनवाई और फैसला देश पर व्यापक प्रभाव डालेगा, क्योंकि आम नागरिक और राजनीतिक दल इस विषय पर अलग-अलग विचार रखते हैं।

एक जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच होता है वैध विवाह

केंद्र ने सोमवार को दाखिल किए हलफनामें में कहाकि, हिंदू कानून की सभी शाखाओं में इसे एक संस्कार माना जाता है। यहां तक कि इस्लाम में भी इसे.. पवित्र माना गया है। और एक वैध विवाह केवल एक जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच होता है। भारत में मौजूद सभी धर्मों में यही स्थिति है।

यह भी पढ़ें - समलैंगिक विवाह पर केंद्र का रुख सख्त, कहा - कोर्ट को नहीं है मान्यता देने का अधिकार, SC कल करेगा सुनवाई