7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राज्यपाल का तरीका गैरकानूनी और मनमाना…, तमिलनाडु की स्टालिन सरकार की सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत

तमिलनाडु से जुड़े एक अहम मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि राज्यपाल का 10 महत्वपूर्ण बिलों को मंजूरी न देना और उन्हें राष्ट्रपति के पास भेजना ‘गैरकानूनी’ और ‘मनमाना’ था।

2 min read
Google source verification

MK Stalin vs RN Ravi :सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार की बड़ी जीत हुई है। शीर्ष कोर्ट ने राज्यपाल आरएन रवि के 10 प्रमुख विधेयकों को मंजूरी न देने का फैसला अवैध और मनमाना बताया। अदालत ने फैसला सुनाया कि राज्यपाल मंजूरी न देने के बाद राष्ट्रपति के लिए विधेयकों को आरक्षित नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल रवि ने सद्भावना से काम नहीं किया।

स्टालिन सरकार की सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत

न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि राज्यपाल द्वारा 10 विधेयकों को राष्ट्रपति के लिए आरक्षित करने की कार्रवाई अवैध और मनमानी है। इसलिए, कार्रवाई को रद्द किया जाता है। राज्यपाल द्वारा 10 विधेयकों के लिए की गई सभी कार्रवाई को रद्द किया जाता है। इन विधेयकों को राज्यपाल के समक्ष पुनः प्रस्तुत किए जाने की तिथि से ही मंजूरी प्राप्त माना जाएगा।

सीएम एमके स्टालिन ने बताया ऐतिहासिक फैसला

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ़ तमिलनाडु के लिए ही नहीं बल्कि सभी भारतीय राज्यों के लिए एक बड़ी जीत है। डीएमके राज्य की स्वायत्तता और संघीय राजनीति के लिए संघर्ष करती रहेगी और जीतेगी।

यह भी पढ़ें- Shivdeep Lande: बिहार की राजनीति में 'सिंघम' की एंट्री, नीतीश-तेजस्वी और चिराग के लिए क्या खड़ी करेंगे मुश्किलें

शीर्ष कोर्ट ने राज्यपाल को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधेयकों को रोककर रखना अनुच्छेद 200 का उल्लंघन और अवैध है। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के पास विधेयक यदि दूसरी बार भेजे गए हैं तो उन्हें इनकी मंजूरी जरूर देनी चाहिए। राज्यपाल किसी विधेयक को तभी रोककर रख सकते हैं जब बिल पहले वाले विधेयक से अलग हो।

कोर्ट ने कहा है कि राज्यपाल विधानसभा से पारित विधेयकों को अनिश्चित समय तक रोके नहीं रह सकते। वह सरकार को दोबारा विचार के लिए विधेयक भेज सकते हैं, लेकिन अगर विधानसभा विधेयक को पुराने स्वरूप में वापस पास करती है, तो राज्यपाल के पास उसे मंजूरी देने के अलावा कोई विकल्प नहीं। वह उसे राष्ट्रपति के पास भेजने के नाम पर लटकाए नहीं रह सकते।