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छात्रों से जनेऊ उतरवाने पर मचा बवाल: विवाद के बाद बैकफुट पर सरकार, स्टाफ के खिलाफ ऐक्शन की तैयारी

Karnataka CET Row: बीदर और शिवमोग्गा जिलों के केंद्रों पर सीईटी परीक्षा हॉल में प्रवेश करने से पहले कुछ छात्रों से जनेऊ (ब्राह्मणों द्वारा पहना जाने वाला पवित्र धागा) उतारने को कहा गया, जिससे विवाद पैदा हो गया।

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Karnataka CET Row: कर्नाटक के शिवमोगा जिले में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET) के दौरान छात्रों से जनेऊ और रक्षा सूत्र उतरवाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्य सरकार को घेरते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई और प्रभावित छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित करने की मांग की है। यह घटना शिक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन के सवाल को एक बार फिर चर्चा में ले आई है। अब देखना होगा कि राज्य सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।

जनेऊ उतरवाने पर भड़की बीजेपी

भाजपा एमएलसी एन. रविकुमार ने शुक्रवार को इस मामले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि यह घटना न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि परीक्षा केंद्र पर मौजूद गार्डों ने छात्रों को जनेऊ और रक्षा सूत्र पहनने से रोका और जब उन्होंने मना किया तो उन्हें परीक्षा केंद्र से बाहर कर दिया गया। रविकुमार ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

दोबारा परीक्षा की मांग की

उन्होंने कहा, कर्नाटक में यह पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले भी सिद्धारमैया सरकार के दौरान हिंदू छात्राओं को मंगलसूत्र और इयररिंग्स उतारने के निर्देश दिए गए थे। अब छात्रों को धार्मिक पहचान के आधार पर परीक्षा से वंचित किया जा रहा है, जो निंदनीय है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि जिन छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोका गया, उनकी दोबारा परीक्षा कराई जाए।

एग्जाम सेंटर पर छात्रों से उतरवाया जनेऊ

यह विवाद शिवमोगा के आदिचुंचनगिरी पीयू कॉलेज का है, जहां तीन छात्रों को सीईटी परीक्षा में शामिल होने से इसलिए रोका गया क्योंकि वे जनेऊ और रक्षा सूत्र पहने हुए थे। आरोप है कि कॉलेज के गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी ने दो छात्रों से जबरन यह धार्मिक प्रतीक उतरवा दिए।

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शिक्षा मंत्री बोले- जिम्मेदार लोगों पर होगी कार्रवाई

मामले के तूल पकड़ने के बाद कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री एम.सी. सुधाकर ने घटना की जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा, “हम किसी भी धर्म या परंपरा के विरुद्ध नहीं हैं। अगर ऐसी कोई घटना हुई है तो यह गंभीर मामला है और हम इसे नजरअंदाज नहीं करेंगे।” मंत्री ने कहा कि संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मंगाई गई है और यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।