
पश्चिम बंगाल के अधिकारियों के लिए बनी पहेली, ऑस्ट्रेलिया से 7000 किलोमीटर दूर भारत कैसे पहुंचे कंगारू
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में पिछले 24 घंटे में 4 कंगारू मिले हैं। इनमें से एक मृत हालत में पाया गया है। 2 अप्रैल की सुबह स्थानीय लोगों ने उसे राजगंज प्रखंड के डबग्राम रेंज के फरबारी नेपाली क्षेत्र के एक खेत में मृत पड़ा देखा। वन विभाग को सूचना दी तो वनकर्मी आए और शव को निकालकर बंगाल सफारी पर ले गए।
बाकी तीन कंगारूओं को एनिमल हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है। वन विभाग पूरे मामले की जांच में जुट गई है। जैसा की हम जानते हैं, कंगारू सिर्फ और सिर्फ आस्ट्रेलिया में पाया जाता है, किसी और देश में नहीं। हां, यह अलग बात है कि किसी और देश के चिड़ियाघर में यह इक्का-दुक्का देखने को मिल जाएंगे।
तो वहीं अचानक, आस्ट्रेलिया से करीब सात हजार किमी दूर भारत में पश्चिम बंगाल राज्य में चार कंगारू देखे गए। ये कंगारू पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में किसी के खेत में घूम रहे थे। गांव वालों ने सोचा किसी चिड़ियाघर से भाग कर आए होंगे। वन विभाग को सूचना दी गई। अधिकारी मौके पर आए तो इन स्तनधारी जीवों को देखकर हैरत में पड़ गए। ये किसी से नहीं भागे थे। सरकार भी इन्हें नहीं लाई थी। अभी वे यह सब सोच ही रहे थे कि एक कंगारू की हालत बिगड़ गई और देखते ही देखते जमीन पर गिर पड़ा। जांच में पता चला कि उसकी मौत हो गई है।
बैकुंठपुर वन क्षेत्र के अधिकारी एसके दत्ता के मुताबिक, उन्हें नियमित गश्त के दौरान ये कंगारू बरामद हुए थे। बहरहाल, जैसे भी मिले हों, मगर भारत में इस जगह इस हाल में मिलना, बात कुछ हजम नहीं हुई। दत्ता के अनुसार, कंगारुओं के शरीर पर गंभीर चोट के निशान हैं। यह चोट कैसे लगी, निशान किसने, कब, कहां, क्यों और कैसे दिए? इन सवालों के जवाब के लिए जांच की जा रही है। मगर शुरुआत में यह कुछ-कुछ तस्करी का मामला लग रहा है।
इसके पहले पुलिस ने मार्च में कंगारू को अवैध रूप से ले जाने के आरोप में हैदराबाद के दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था जो कंगारुओं की तस्करी कर रहे थे। ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु कंगारू दूसरे देशों में सिर्फ चिड़िया घरों में ला कर रखे गए हैं लेकिन जंगलों में इनका मिलना चौंकाने वाला है।
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आपको बता दें, कंगारू आस्ट्रेलिया में पाया जानेवाला एक स्तनधारी पशु है। यह आस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु भी है। कंगारू शाकाहारी, मारसूपियल जीव हैं जो स्तनधारियों में अपने ढंग के निराले प्राणी हैं। इन्हें सन् 1773 ई. में कैप्टन कुक ने देखा और तभी ये पहली बार लोगों के सामने आए।
वैसे कंगारुओं का अचानक भारत में मिलना, वह भी बंगाल और मिजोरम सीमावर्ती क्षेत्रों में मिलना, पहेली बना हुआ है। बहरहाल, करीब 11 साल पहले भी यानी जून 2011 में भी पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के अलीपुर चिड़ियाघर में चेक गणराज्य से दो जोड़े लाल कंगारू लाए गए थे, मगर चार साल के भीतर दोनों की मौत हो गई थी। आखिरी लाल कंगारू की मौत अक्टूबर 2015 में हुई थी। उसके बाद, कोलकाता के चिड़ियाघर को 2016 में योकोहामा चिड़ियाघर से चार पूर्वी ग्रे कंगारू मिले।
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Published on:
03 Apr 2022 05:47 pm
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