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जीवन का पाठ: मां की कमी महसूस नहीं होने दी, दुलार के साथ सख्ती भी दिखाई बनाया काबिल

पिता के शब्द...वक्त कैसा भी हो संतान पर हमेशा विश्वास रखों, जैसी शिक्षा दोगे वैसा परिवार बनेगा।

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जीवन का पाठ: मां की कमी महसूस नहीं होने दी, दुलार के साथ सख्ती भी दिखाई बनाया काबिल

वीरेन्द्र सिंह राठौर

नीमच/ पिता के प्रति प्रेम के इजहार और जीवन में उनकी अहम भूमिका का ऐसा ही एक किस्सा है, रेवली देवली गांव का। रामनारायण नागदा उम्र 68 वर्ष सेंट्रल बैंक से रिटार्यड है। उनकी पत्नी गंगा देवी का वर्ष 20 वर्ष पहले निधन हो गया था। उसके बाद उन्होंने उनके तीन बेटे और बेटी को काबिल बनाया है, जो आज अच्छे पदों पर है।

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पिता की मेहनत से बच्चोंं ने पाई खास पहचान

पत्रिका से बातचीत के दौरान रामनारायण नागदा ने बताया कि पत्नी की मौत के बाद वे काफी टूट गए थे, लेकिन उन्हें जीवन जीने का सहारा संतान में दिखा। उनको मां और पिता का प्यार दिया। स्वयं तैयार करते थे और स्कूल के बाद पढ़ाई कराते थे। आज बड़ी बेटी पुष्पा नागदा उम्र 40 वर्ष सीआरपीएफ, बेटा अशोक नागदा उम्र 35 वर्ष आर्मी में, अर्जुन नागदा उम्र 32 वर्ष पुलिस 100 डायल के चालक है। अभी भी संयुक्त परिवार में सभी रहते है, वे छुट्टी में सभी एकत्रित होते है और गांव में ही रहते है। सेना में जवान राजू नागदा का कहना है कि पिता की परवरिश का नतीजा है कि मां के जाने के बाद भी उन्होंने हमे मां की कमी महसूस नहीं होने दी और दुलार के साथ सख्ती भी दिखाई और काबिल बनाया है, पिताजी ही हमारी प्रेरणा है।

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पहले हमें खिलाते फिर वे खाना खाते

राजू नागदा का कहना है कि, पिताजी ने हमे बचपन से ही संघर्षशील बनाया है, वे स्कूल के समय से लेकर नौकरी लगने तक हमेशा हमारी हर बात का ख्याल रखते। पहले हमें खाना खिलाते फिर खुद खाते थे। कई बार तो उन्होंने खुद अपने हाथों से हमारी पसंद का खाना तक बनाया। एक पिता के तौर पर उनका विश्वास और अनुशासन हमारी सफलता का सबसे बड़ा मंत्र है। हर परिस्थिति में उनकी सीख और डांट के तौर पर दी गई सलाह व मार्गदर्शन कठिनाईयों के बीच आगे बढ़ने की राह दिखाता है।

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