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ये कैसा फरमान! अस्पताल में फोटो-वीडियो लेने पर लगा बैन, नियम तोड़ने पर 7 साल की जेल

MP News- एमपी के इस जिला अस्पताल में अब कैमरा ऑन करना भारी पड़ सकता है। बिना अनुमति फोटो या वीडियो बनाने पर 7 साल तक की सजा और जुर्माना संभव।

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नीमच

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Akash Dewani

Aug 22, 2025

neemuch district hospital photography and videography ban mp news

neemuch district hospital photography and videography ban (फोटो-सोशल मीडिया)

MP News-नीमच जिला अस्पताल ने बिना अनुमति के अस्पताल में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी वर्जित कर दी है। नियम का उल्लंघन करने पर अस्पताल प्रबंधन की ओर से एक से सात साल तक की सजा की चेतावनी भी दी गई है। अस्पताल ने इस आशय का सूचना बोर्ड लगाया है। ऐसा करने वाला नीमच जिला चिकित्सालय प्रदेश का पहला अस्पताल है। (photography and videography ban)

दिल्ली से आए निर्देश, मीडियाकर्मी से हुआ था डॉक्टर का विवाद

यह व्यवस्था पिछले दिनों निरीक्षण पर दिल्ली से आए चिकित्सकों के दल के निर्देश पर लगाने की बात कहीं जा रही है। अस्पताल में अव्यवस्था व अराजकता की स्थिति रोकने के लिए ऐसी व्यवस्था की गई है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों एक घटना में फोटो खींचने पर एक चिकित्सक व मीडियाकर्मी के बीच विवाद के कारण अव्यवस्था फैल गई थी। ऐसी स्थिति फिर से न उपजे, इसके लिए यह व्यवस्था की गई है। (photography and videography ban)

इस तरह की चेतावनी है बोर्ड पर

शासकीय विकित्सालयों शासकीय कार्यालयों में बिना अनुमति फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी करना कानूनी रूप से अपराध है। यदि ऐसा किया गया तो भारतीय दंड संहिता धारा 353 के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है एवं 2 साल की सजा का प्रावधान है। महिला रोगी, महिला अधिकारी कर्मचारी की फोटोग्राफी वीडियोग्राफी करने से उनकी निजता प्रभावित होने पर संबंधित के विरुद्ध भादंसं धारा 354सी के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है।

इसके अंतर्गत एक से 3 साल की सजा एवं आर्थिक दंड तथा गंभीर मामलों में 3 से 7 साल तक देह एवं जुमनि का प्रावधान है। असत्य परिचय देकर संबंधित व्यक्ति की अनुमति बिना फोटो-वीडियो लेने पर भादर्स 417 के अंतर्गत 3 साल की जेल एवं आर्थिक दंड का भी प्रावधान है। किसी भी राजकीय कर्मचारी की सामान्य ड्यूटी में बाधा उत्पन्न करने पर संबंधित पर भादंसे 353 के अंतर्गत 2 साल की जेल व आर्थिक दंड का प्रावधान है। (MP News)

निजी स्वतंत्रता का होना चाहिए सम्मान

हाईकोर्ट एडवोकेट युगल बैरागी ने बताया कि किसी भी शासकीय संस्था को अपने लिए नियम बनाने का पूर्ण अधिकार है। सभी को उन नियमों का पालन करना थाहिए। किसी की भी निजी स्वतंत्रता का सम्मान होना आवश्यक है। साथ ही यह भी वेखना चाहिए कि मीडिया से जुड़े मामलों में मीडिया को जनहितैषी कार्यों की उपेक्षाओं, परिसर में व्याप्त अव्यवस्था को कवरेज हेतु भी नीति निर्धारण होना चाहिए, ताकि वस्तुस्थिति जनता के समक्ष आ सके। जिला चिकित्सालय में फोटोग्राफी प्रतिबंधित हेतु लगाया गया सूचना बोर्ड में किसी वैध अधिकारी का नाम नहीं होने से यह अपूर्ण है। (MP News)