
Delhi Assembly Elections 2025: देश की राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। हालांकि अभी तक विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान तो नहीं हुआ है, लेकिन सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी समेत अन्य राजनीतिक दलों ने इसकी तैयारियां तेज कर दी हैं। सत्तारूढ़ दल आम आदमी पार्टी ने तो दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवार भी फाइनल कर दिए हैं। इस बीच हम आपको दिल्ली की उन 12 विधानसभा सीटों का इतिहास बताने जा रहे हैं। जो दिल्ली विधानसभा के गठन यानी साल 1993 के बाद से अब तक पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने का जरिया बन रही हैं। यानी जिस पार्टी को इन विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली है। दिल्ली में सीएम उसी पार्टी से चुना गया।
दिल्ली में विधानसभा के गठन के बाद से सात बार चुनाव हो चुके हैं। इस बार आठवीं विधानसभा के लिए फरवरी 2025 में चुनाव होना है। इसके लिए आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतार दिए हैं। जबकि कांग्रेस ने भी 21 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। भाजपा भी जोर शोर से उम्मीदवारों की सूची फाइनल करने में जुटी है। अब दिल्ली के पहले विधानसभा चुनाव यानी साल 1993 से साल 2020 तक नजर दौड़ाएं तो दिल्ली की 12 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाने वाली पार्टी के नाम ही दिल्ली का ताज रहा है।
साल 1993 से लेकर 2020 तक चुनावी इतिहास इस बात की गवाही दे रहा है। साल 1993 में पहली बार हुए विधानसभा चुनावों में दिल्ली में 13 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई थीं। इसमें से भाजपा ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि पांच सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। इसके बाद दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी और मदन लाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।
इसके बाद साल 1998 में एक सीट कम हो गई। विधानसभा चुनावों में बची 12 आरक्षित सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली। इसके बाद कांग्रेस के हाथ में दिल्ली की सत्ता की चाबी आई और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बनाई गईं। इसके बाद साल 2003 में कांग्रेस को 12 में से 10 सीटों पर जीत मिली। शीला दीक्षित फिर दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। साल 2008 में कांग्रेस को 12 में से नौ विधानसभा सीटों पर जीत मिली और एक बार फिर शीला दीक्षित दिल्ली की सीएम चुनी गईं। उसके बाद से इन 12 सीटों में से ज्यादातर सीटों पर आम आदमी पार्टी को जीत मिलने लगी।
दिल्ली की इन 12 आरक्षित सीटों पर पहले कांग्रेस का दबदबा माना जाता था, लेकिन साल 2013 से यह इतिहास बदल गया। यानी साल 2013, 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी ने ये इतिहास बदला। साल 2013 में आम आदमी पार्टी ने 12 में से नौ विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की। उसके बाद से अब तक इन सीटों पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है। इस बार कांग्रेस दिल्ली में अपना जनाधार वापस पाने की कोशिश में जुटी है। दूसरी ओर बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा को इन विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली है। इसके चलते भाजपा विधानसभा चुनाव में उत्साहित है। हालांकि भाजपा के लिए इन 12 आरक्षित विधानसभा सीटों पर एकतरफा जीत दर्ज करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
दिल्ली में अनुसूचित जाति के लिए 12 सीटें सुरक्षित हैं। इनमें सुल्तानपुर माजरा, बवाना, मंगोलपुरी, मादीपुर, अंबेडकर नगर, देवली, करोलबाग, पटेल नगर, गोकलपुर, कोंडली, सीमापुरी एवं त्रिलोकपुरी शामिल हैं। पिछले दो चुनावों से इन 12 सीटों पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है। साल 1998 से अब तक हुए चुनावों में पार्टियों के प्रदर्शन पर नजर डालें तो तीन बार कांग्रेस और तीन बार आम आदमी पार्टी ने इन सीटों पर बढ़त बनाई है। इसके बाद सरकार भी बनाई। हालांकि दिल्ली में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव यानी साल 1993 में भाजपा ने आठ सीटों पर जीत दर्ज कर दिल्ली में सरकार बनाई थी।
साल 1993 में अनुसूचित जाति के लिए कुल 13 सीटें आरक्षित की गई थीं। इनमें से भाजपा को आठ और कांग्रेस को पांच सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद दिल्ली में भाजपा ने सरकार बनाई थी।
साल 1998 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 12 बची। इन सभी 12 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज कर दिल्ली में सरकार बनाई।
साल 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि दो सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। फिर कांग्रेस ने दिल्ली में सरकार बनाई।
साल 2008 के विधानसभा चुनावों में 12 में से नौ सीटें कांग्रेस ने जीती। जबकि भाजपा को दो और बसपा को एक सीट पर जीत मिली। दिल्ली में कांग्रेस ने फिर सरकार बनाई।
साल 2013 में विधानसभा चुनाव में यह इतिहास पलटा और आम आदमी पार्टी के हिस्से नौ, भाजपा के हिस्से दो और कांग्रेस के हिस्से सिर्फ एक सीट आई। दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने सरकार बना ली।
साल 2015 के चुनावों में 12 की 12 सीटों पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली। अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।
साल 2020 में हुए विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने यही इतिहास दोहराया और फिर दिल्ली के सीएम बने।
एक हिन्दी अखबार को दिए बयान में भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल गिहारा ने बताया "मोदी सरकार की योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ अनुसूचित जाति के लोगों को मिला है। पिछले चुनाव में लोगों ने उम्मीद के साथ 'आप' को समर्थन दिया था, लेकिन उन्हें निराशा मिली। लोकसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर भाजपा को बढ़त मिली थी। अब विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को इन सीटों पर चुनाव जीतने वाली है।"
Published on:
20 Dec 2024 05:55 pm
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