
दिल्ली: पत्नी से प्रताड़ित पतियों के लिए भाजपा के दो सांसदों ने उठाई पुरुष आयोग के गठन की मांग
नई दिल्ली। देश में महिला सुरक्षा को लेकर तमाम तरह की संस्थाएं और व्यवस्थाएं बनी है। हालांकि हमारा संविधान महिला और पुरुष को बराबर का हक देता है इसके बावजूद भी महिलाओं पर बढ़ते अपराध को देखते हुए उनके हितों की रक्षा के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं। लेकिन अब भाजपा के दो सांसदों का कहना है कि महिलाओं की तरह पुरुषों को भी अधिकार मिलना चाहिए। देश में पुरुषों की भी सुरक्षा के लिए अलग से व्यवस्थाएं होनी चाहिए। दरअसल उत्तर प्रदेश के घोसी और हरदोई से भाजपा सांसद हरिनारायण राजभर और अंशुल वर्मा ने देश की संसद में पुरुष आयोग बनाने की मांग की थी और अब इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं। हालांकि इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग का कहना है कि लोकतांत्रिक देश में हर किसी को अपनी बात रखने का हक है, लेकिन फिलहाल पुरुषों के लिए कोई अलग आयोग की कोई भी आवश्यकता नहीं है।
इस संबंध में 23 सितंबर को होगा एक कार्यक्रम
आपको बता दें कि अपनी मांग को लेकर ये दोनों सांसद राजधानी दिल्ली में 23 सितंबर को एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। रविवार को दोनों सांसदों ने कहा कि वे पुरुष आयोग गठन करने के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं और इसी कड़ी में 23 सितंबर को राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम किया जाएगा। राजभर का कहना है कि अपनी पत्नियों से पुरुष भी प्रताडित होते हैं। इस तरह के हजारों केस अदालतों में लंबित हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ उन्हें न्याय दिलाने के लिए अलग-अलग मंच उपलब्ध है, लेकिन पुरुषों की समस्या पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया है। राजभर ने मांग करते हुए कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग की तरह ही पुरुषों के लिए भी एक अलग आयोग बनाई जाए। उन्होंने यह बात स्पष्ट करते हुए कहा कि मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हर महिला या पुरुष गलत होता है, लेकिन दोनों ही तरफ से एक-दूसरे पर अत्याचार करने के मामले सामने आते हैं। इसलिए पुरुषों के लिए भी एक अलग व्यवस्था होनी चाहिए जहां इस तरह के मामले को सुलझाया जा सकता है।
संविधान में संशोधन की है आवश्यकता: वर्मा
आपको बता दें कि इन सबके बीच सांसद अंशुल वर्मा ने कहा कि शनिवार को संसद की एक स्थाई समिति जिसके वह भी एक सदस्य हैं, के पास इस मुद्दे को रखा है। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498 ए का काफी दुरुपयोग किया जा रहा है और इसके समाधान के लिए संविधान में संशोधन करने की जरूरत है। बता दें कि आईपीसी की धारा 498 ए पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा दहेज के लिए महिलाओं को परेशान किए जाने सहित उनके साथ होने वाले किसी भी तरह के अत्याचार के रोकथाम से संबंधित है। हालांकि इन सबके बीच एक बार फिर से राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा का कहना है कि किसी को भी अपनी मांग रखने का पूरा हक है लेकिन फिलहाल पुरुष आयोग की कोई भी आवश्यकता नहीं है।
Published on:
02 Sept 2018 08:48 pm
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